‘आतंकवाद’ की सबसे बड़ी जीत तब नहीं होती जब कोई आतंकवादी संगठन अपने मकसद में कामयाब हो जाए। ‘आतंकवाद’ की सबसे बड़ी जीत तब है जब कोई आम आदमी आतंकवादी बन जाए। इसीलिए मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में शिक्षा और राष्ट्रवाद की ललक जगाना चाहती है ताकि कोई भी आतंकवादी संगठन किसी भी युवा का ब्रेनवॉश न कर पाए। बता दें कि जम्‍मू कश्‍मीर में एक पीएचडी स्‍कॉलर के हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ने की खबर सामने आई है। यह पीएचडी स्‍कॉलर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी(एएमयू) में अध्‍ययनरत था। अब जम्‍मू कश्‍मीर में सोशल मीडिया पर उसकी एके-47 लिए तस्‍वीर सामने आई है।

इस घटना के बाद लापता पीएचडी छात्र मनान वानी की तलाश में यूपी पुलिस ने यूनिवर्सिटी में छापेमारी शुरू की है। एसएसपी के नेतृत्व में जिला पुलिस की एक टीम हॉस्टलों में जाकर मनान वानी की तलाश कर रही है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने संदेह के आधार पर मनान वानी को तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया है। इस मामले में सेना प्रमुख का भी बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं पहले भी होती रही हैं और होती रहेंगी। हमें भटके हुए ऐसे लोगों को सही रास्ते पर लाने की कोशिश करनी चाहिए।

फेसबुक और व्‍हॉट्सएप पर जारी मैसेज के अनुसार, कश्‍मीरी शोधार्थी 5 जनवरी को हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया। सोशल नेटवर्किंग पर जारी फोटो में उसे अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर के साथ देखा जा सकता है। कश्‍मीरी युवक का भाई जूनियर इंजीनियर है। मन्‍नान के भाई मुबाशिर अहमद ने बताया, ‘हमलोगों ने भी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उसकी (मन्‍नान) तस्‍वीर देखी है। लेकिन, हमें अभी इस बारे में कुछ भी मालूम नहीं है कि वह आतंकी संगठन में शामिल हुआ है या नहीं। हम 4 जनवरी से ही उससे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। उसका मोबाइल फोन लगातार स्विच ऑफ है। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्र पर एक साल पूर्व भी इस प्रकार के गंभीर आरोप लगे थे। एएमयू के जनसम्पर्क अधिकारी उमर सलीम पीर जायदा ने बताया कि मनान वानी के हिज्बुल में शामिल होने की अटकल पर अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है।

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