AIMIM नेता Asaduddin Owaisi ने टीपू सुल्तान को बताया अपना आदर्श, कहा- उनकी तरह आखिरी दम तक मुकाबला करेंगे

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Owaisi said- When we wear green than every thing will be green
Asaduddin Owaisi

AIMIM नेता Asaduddin Owaisi का कहना है कि टीपू सुल्तान उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने टीपू सुल्तान को अपना आदर्श बताया और कहा कि वे भी उनकी तरह आखिरी दम तक मुकाबला करेंगे।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘ शहीद टीपू सुल्तान वतन-ए-अजीज हिंदुस्तान के उन अव्वलीन मुजाहिद-ए-आजादी में से थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का आगाज किया था। उनकी शख्सियत हिंदुस्तान के बुलंदतरीन शख्सियात में से एक है। वो हमारे शेर थे, हैं और कयामत तक रहेंगे।’

एक वीडियो में ओवैसी कहते दिख रहे हैं कि टीपू सुल्तान को किसी जयंती की जरूरत नहीं है। कयामत के दिन तक टीपू सुल्तान का नाम आबाद रहेगा। जो टीपू सुल्तान से प्यार करते हैं , टीपू की रूह उनसे कहती है कि लड़ो हिंदुस्तान को बचाने के लिए।

कौन थे टीपू सुल्तान?

मालूम हो कि मैसूर के टाइगर नाम से प्रसिद्ध टीपू सुल्तान अंग्रेजों के खिलाफ युद्धों में अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं। 20 नवंबर 1750 में कर्नाटक के देवनाहल्ली में जन्मे टीपू का पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था।

मैसूर के सुल्तान हैदर अली के सबसे बड़े बेटे के रूप में, टीपू सुल्तान 1782 में अपने पिता की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठे थे। टीपू द्वारा कई युद्धों में हारने के बाद मराठों एवं निजाम ने अंग्रेजों से संधि कर ली थी। ऐसी स्थिति में टीपू ने भी अंग्रेजों को संधि का प्रस्ताव दिया। वैसे अंग्रेजों को भी टीपू की शक्ति का एहसास हो चुका था इसलिए छिपे मन से वे भी संधि चाहते थे। दोनों पक्षों में वार्ता मार्च, 1784 में हुई और इसी के फलस्वरूप ‘मंगलौर की संधि’ सम्पन्न हुई। टीपू सुल्‍तान के शासन काल में तीन बड़े युद्ध हुए और तीसरे युद्ध में वे वीरगति को प्राप्त हुए।

टीपू पर धार्मिक असहिष्णुता का आरोप

हालांकि हिंदू संगठन दावा करते हैं कि टीपू धर्मनिरपेक्ष नहीं थे, बल्कि एक असहिष्णु और निरंकुश शासक थे। वह दक्षिण के औरंगजेब थे जिसने लाखों लोगों का धर्मांतरण कराया और बड़ी संख्या में मंदिरों को तोड़ा। एक किताब में ये भी बाते सामने आई थी कि टीपू सुल्तान ने अपने 30,000 सैनिकों के साथ कालीकट में तबाही मचाई थी। टीपू सुल्तान ने पुरुषों और महिलाओं को सरेआम फांसी दी और उनके बच्चों को उन्हीं के गले में बांध कर लटकाया गया।

1964 में प्रकाशित किताब ‘लाइफ ऑफ टीपू सुल्तान’ में कहा गया है कि सुल्तान ने मालाबार क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा हिंदुओं और 70,000 से ज्यादा ईसाइयों को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया। यही सब वजह रही थी कि उनके नाम पर विवाद होता रहा।

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