26/11 Mumbai Attack: जब गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल उठी थी मायानगरी, पढ़िए सिलसिलेवार तरीके से कब कहां क्या हुआ था?

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26/11 Mumbai Attack
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26/11 Mumbai Attack: मुंबई में हुए चरमपंथी हमलों की तुलना न्यूयॉर्क के 9\11 से की जा सकती है। दोनों हमले उन स्थानों पर हुए जो दुनिया भर में उस शहर की तस्वीर पेश करते थे। केवल 10 आंतकवादियों ने 100 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश को लगभग 59 घंटों के लिए मानसिक रुप से बंधक बनाए रखा। आखिरकार एनएसजी कामाडों, सेना और स्थानीय पुलिस की मदद से आंतकियों का सफाया किया गया,लेकिन उन 59 घंटों में आखिर क्या हुआ? आतंकवादी अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में किस तरह जुटे रहे? पेश है उसका सिलसिलेवार ब्योरा:

आंतक का पहला घंटा,
रात 9.40 बजे, दिन बुधवार,
तारीख-26 नवंबर

हादसे की रात मुंबई की रौनक अभी शुरु ही हुई थी कि कोलाबा का व्यस्त बाजार गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। लियोपॉल्ड रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंप के बाहर फायरिंग हुई ,तब ऐसा लगा था कि ये दो गुटों के बीच की फायरिंग है। पुलिस अभी कोलाबा की ओर दौड़ ही रही थी कि रात दस बजे सीएसटी स्टेशन और कैपिटल सिनेमा के बाहर भी एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग और हैंड ग्रेनेड से ब्लास्ट की खबरें आनी शुरु हो गईं। करीब पंद्रह मिनट बाद यानी सवा दस बजे विले पार्ले में फ्लाई ओवर के नीचे खड़ी टैक्सी में एक धमाका हुआ। इस धमाके से अभी पुलिस संभली भी नहीं थी कि सीएसटी स्टेशन पर फायरिंग की खबरें आने लगीं। आंतकी स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे लोगों पर गोलियां बरसा रहे थे। अब किसी को शक नहीं था कि मुंबई पर आंतकी हमला हुआ है। तभी, इन दो बड़े हमलों के बीच दिल दहला देने वाली दो बड़ी खबर सामने आई। दरअसल, मुंबई के दो मशहूर होटलों ताज और ओबरॉय में हथियार और गोलाबारुद से लैस आंतकी घुस चुके थे। यानी आतंकियों ने एक साथ मुंबई के कई इलाकों को निशाना बनाया था। सबसे शानदार पांच सितारा होटल, सबसे बड़ा और सबसे भीड़भाड़ वाला रेलवे स्टेशन , बड़े अस्पतालों जैसे कामा हॉस्पिटल और जीटी हॉस्पिटल ,भीड़भाड़ वाले मार्केट (कोलाबा मार्केट, विलेपार्ले इस्ट) , शहर के बंदरगाह , सिनेमाघरों ( मेट्रो सिनेमा, कैपिटल सिनेमा) और नरीमन हाउस अब आंतकियों के निशाने पर थे, या यू कहें कि पूरी मुम्बई आतंक के साये में थी।

दूसरा घंटा,
रात 10.45 बजे,
दिन बुधवार,
तारीख- 26 नवंबर

हमले के बाद पुलिस हरकत में आ चुकी थी। रात में पौने ग्यारह बजे तक ताज और ओबराय होटल और मेट्रो सिनेमा के पास पुलिस और आंतकवादियों के बीच क्रॉस फायरिंग शुरु हो गयी। रात 11.42 मिनट पर एटीएस ने ताज होटल के बाहर मोर्चा संभाल लिया। ठीक आधी रात के 12 बजे खबर आई कि आतंकवादियों ने मेट्रो सिनेमा के पास पुलिस वैन पर कब्जा कर लिया है और पुलिस आंतकवादियों का पीछा कर रही है। रात 12.15 मिनट पर आंतकियों ने ओबरॉय होटल में लोगों को बंधक बना लिया और हालात बेकाबू होता देख महाराष्ट्र सरकार ने मदद के लिए सेना को बुलाया।

तीसरा घंटा,
रात 12.40 बजे,
दिन गुरुवार,
तारीख-27 नंवबर

आंतक तेजी से मुंबई में पांव पसार रहा था। रात 12 बजकर 41 मिनट पर महाराष्ट्र विधानभवन के बाहर फायरिंग शुरू हुई। उसी वक्त पुलिस ने डॉकयार्ड में इक संदिग्ध बोट को पकड़ा। संकेत साफ था आतंकवादी समुद्री रास्ते से आए थे। रात 12.48 मिनट पर आंतकवादियों ने पुराने ताज होटल के गुबंद में ब्लास्ट किया। ताज के एक हिस्से में आग लग गई। आंतक का यह तीसरा घंटा ज्यादा नाजुक हो रहा था, क्योंकि ताज के गुबंद में धमाके के पांच मिनट बाद ही गिरगांव चौपाटी में पुलिस ने दो आंतकवादियों को मार गिराया था। उधर ताज और ओबेरॉय में आंतवादी रह-रहकर ब्लास्ट कर रहे थे। कामा हास्पिटल से भी फायरिंग की खबरें लगातार आ रही थी। हालात को संभालने के लिए एटीएस को मौके पर बुलाया गया। आतंकवादियों से लोहा लेने एटीएस के जांबाज चीफ हेमंत करकरे , एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर ,डीआईजी अशोक काम्टे मौके पर पहुंच चुके थे। उधर, आतंकवादी भी पुलिस की जिप्सी में मेट्रो सिनेमा से गोलियां बरसाते हुए कामा अस्पताल में दहशत फैला रहे थे।

चौथा घंटा,
रात 1.40 बजे,
दिन गुरुवार
तारीख- 27 नवंबर

एटीएस के सामने पहली चुनौती थी कामा हॉस्पीटल को आतंकवादियों से छुड़ाना, वहां दो आंतकी मेट्रो सिनेमा हॉल के बाहर अंधाधुंध गोलियां बरसाने के बाद पुलिस की जिप्सी पर कब्जा करके वहां पहुंचे थे। वो रास्ते भर गोलियां बरसाते रहे और कामा अस्पताल में भी फायरिंग कर रहे थे। मरीजों की जान खतरे में थी लिहाजा एटीएस के मुखिया हेमंत करकरे,एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर और डीआईजी अशोक काम्टे सबसे पहले ऑपरेशन के लिए यहीं पहुंचे, लेकिन यहां पहुंचने के बाद जैसे ही वो गाड़ी से नीचे उतरते हैं अचानक आतंकवादियों ने उन पर हमला बोल दिया। इस हमले में तीनों जांबाज शहीद हो गए ,अब तक शहर के 11 इलाके आतंकवादियों की चपेट में आ चुके थे, देश तीन जांबाज सैनिकों को खो चुका था। रात अधिक काली और लंबी होती जा रही थी।

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छठा घंटा,
रात 3.45 बजे,
दिन गुरुवार,
तारीख 27 नवंबर

तीन जांबाजों की शहादत के बाद ऑपरेशन ताज, ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस के आसपास सिमट गया। पुलिस और आतंकवादियों के बीच रुक-रुक कर फायरिंग हो रही थी, इस बीच फायर टेंडर्स की लिफ्ट की मदद से पुलिस कुछ लोगों को ताज होटल से बाहर निकालने में कामयाब हो गई, लेकिन ज्यादातर लोग अभी भी होटल में ही फंसे थे।

सांतवा घंटा,
सुबह 5.20 बजे,
दिन गुरुवार,
तारीख 27 नवंबर

आतंकवादियों ने ताज में धुंआधार फायरिंग शुरु कर दी… सुबह 5 बजकर 20 मिनट पर उम्मीद की किरणें दिखीं, जब एनएसजी कमांडो मुंबई पहुंचे। मैरीन कमांडो, रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवान और सेना की टुकडियों ने पूरा ऑपरेशन की कमान अब अपने हाथों में संभाल ली थी और सुबह 6 बजे नरीमन हाउस पर कब्जा जमाए बैठे आतंकवादियों से लोहा लेना शुरु कर दिया।

14वां घंटा,
दोपहर 12 बजे,
दिन गुरुवार,
तारीख 27 नवंबर

कमांडो करीब छह घंटे के आपरेशन के बाद नरीमन हाउस से एक महिला एक बच्चे समेत तीन लोगों को बाहर निकालने में कामयाब रहे।

16वां घंटा
दोपहर 2 बजे
दिन गुरुवार
तारीख-27 नवंबर

महाराष्ट्र सरकार ने बयान जारी किया कि ताज और ओबरॉय होटलों पर आंतकवादियों का कब्जा है और अब तक 101 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें पांच आतंकवादी भी शामिल हैं।

18वां घंटा
शाम 4 बजे
दिन गुरुवार
तारीख-27 नवंबर

ताज,ओबरॉय औऱ नरीमन हाउस में बंधक संकट जारी था, एटीएस और मैरीन कमांडो बहादुरी से लोहा ले रहे थे। आंतकवादी दोनों होटलों में रुक-रुक कर ग्रेनेड ब्लास्ट कर रहे थे, हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने राष्ट्र को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि मुंबई में आंतकी हमले के पीछे विदेशी हाथ है।
पूरा दिन बीत चुका था ऑपरेशन बंधक जारी था। होटल ओबरॉय में अब तक 20 और ताज में 23 धमाके हो चुके थे। होटल ताज में कितने आतंकवादी थे और कितने बंधक थे, इसका अब तक कोई पता नहीं चल रहा था। ओबरॉय होटल में अब भी 20-30 बंधक फंसे हुए थे। छठे फ्लोर पर आंतकियों ने कब्जा जमा रखा था। नरीमन हाउस में भी आतंकवादियों ने दो इजराइली परिवारों को बंधक बनाया हुआ था। आतंकवादियों की गिरफ्त कमजोर पड़ती नहीं दिख रही थी और पूरी मुंबई आतंकवाद से लड़ रही थी।

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19वां घंटा
शाम 5 बजे
दिन गुरुवार
तारीख- 27 नवंबर

सेना के जवान लगातार दोनो होटलों को आजाद कराने में जुटे हुए थे। ओबरॉय होटल में 20-30 बंधकों को होने की खबर आ रही थी। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक , आतंकवादी हमलों में अब तक 110 लोग मारे जा चुके थे और 217 घायल थे, होटल ताज से आग की लपटें उठ रही थीं।

20वां घंटा
शाम 6 बजे
तारीख 27 नवंबर 2008

खबर आई की ऑपरेशन ताज खत्म होने पर है. यह खबर महाराष्ट्र के डीजीपी ए. एन .रॉय के हवाले से आयी लेकिन मेजर जनरल आर के हुडा ने ऑपरेशन ताज के खत्म होने से इंकार कर दिया। उधर ओबरॉय में भी आतंकवादी गोलियां बरसा रहे थे।

24वां घंटा
रात के 10 बजे
तारीख 27 नवंबर 2008

होटल ताज , होटल ओबरॉय और नरीमन हाउस तीनों जगह फायरिंग जारी थी। ओबरॉय में 21 और ताज में 24 धमाके हो चुके थे। मरने वालों की तादाद 125 हो चुकी थी और नरीमन हाउस से कई बंधकों को आजाद करा लिया गया था। इसी घंटे में एटीएस खुलासा करती है कि गिरगांव चौपाटी पर आंतकवादी का सेटेलाइट फोन मिला है। सोनिया गांधी और मनमोहन मुंबई के घाव पर मरहम लगाने पहुंच चुके थे।

28वां घंटा
रात के 2 बजे
तारीख 28 नंवबर 2008

होटल ओबरॉय और नरीमन हाउस से कुछ अच्छी खबर आ रही थी। ओबरॉय होटल से 16 विदेशी बंधकों को छुड़ाया जा चुका था

32वां घंटा
सुबह के 6 बजे
तारीख 28 नवंबर 2008

ताज में काफी देर से गोलियों या फिर धमाकों की आवाज नहीं आई। सबने एक बार फिर समझा ऑपरेशन शायद खत्म हो चुका है, लेकिन नरीमन हाउस में गोलियों की तड़तड़ाहट अब भी सुनाई दे रही थी।

33वां घंटा
सुबह के 7 बजे
तारीख 28 नवंबर 2008

एनएसजी कमांडो हेलिकाप्टर से नरीमन हाउस की छत पर उतरे। एक एक करके सबने पॉजीशन ले ली. दोनों तरह से फायरिंग शुरु हो गई. अब तक 14 पुलिसवाले शहीद हो चुके थे।

35वां घंटा
सुबह के 9 बजे
तारीख 28 नवंबर 2008

ताज में धमाका हुआ औऱ गोलियों की आवाज भी आयी. उधर ओबरॉय में भी कमाडों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ जारी थी. नरीमन हाउस में कमांडों ने खिड़कियों पर फायरिंग की। आंतक की दास्तां चलती जा रही थी। आतंकवादी कहर पर कहर बरसाए जा रहे थे। एक बार तो ताज होटल के अंदर से आतंकवादियों ने पत्रकारों पर भी फायरिंग कर दी।

37वां घंटा
सुबह के 11 बजे
तारीख-28 नवंबर, 2008

ताज होटल के अंदर से आतंकवादियों ने पत्रकारों पर भी फायरिंग कर दी। कई पत्रकार बाल-बाल बचें.पुलिस ने ताज से पत्रकारों को दूर कर दिया और बुलेट प्रूफ सिपाहियों ने अपनी गाड़ियों की आड़ में मोर्चा संभाल लिया।

38 वां घंटा
दोपहर के एक बजे
तारीख 28 नवंबर 2008

मरीन कमांडो ने अपनी प्रेस कॉन्फेंस की। मरीन कमांडों ने कहा कि ताज की नई इमारत को आतंकवादियों से आजाद कराया जा चुका है। कमांडो का दबाव बढ़ने के बाद आतंकवादी ओल्ड ताज में शिफ्ट हो गए। ताज की नई इमारत से आतंकवादियों के पास से काफी मात्रा में हथियार और गोला बारुद भी मिले। जाहिर था ऑपरेशन आसान नहीं था, लेकिन इसी बीच एक औऱ खबर आ गई, जिससे पूरी मुंबई फिर डर गई। वीटी स्टेशन पर फायरिंग की खबर, लेकिन बाद में पता चला कि ये सब अफवाह है। ऑपरेशन से अभी तक 50 लोगों को बाहर निकाला जा चुका था जिसमें से 5 अमेरिकन 2 बिट्रेन के औऱ 3 इटली के नागरिक थे।

40वां घंटा
दोपहर के 2 बजे
तारीख- 28 नवंबर, 2008

ओबरॉय से खबरें आने लगी कि सेना का ऑपरेशन ओबरॉय खत्म हो गया है, लेकिन नरीमन हाउस में एक कमांडो के घायल होने की खबर थी। यहां तक की मीडिया को भी नरीमन हाउस से दूर रहने को कहा गया।

41वां घंटा,
दोपहर के 3.30 बजे
तारीख- 28 नवंबर ,2008

एनएसजी कमांडो ने ओबरॉय होटल पर कब्जा कर लिया. सारे आतंकवादियों को मार गिराया गया। ऑपरेशन खत्म होने के बाद होटल से 24 शव बरामद हुए, लेकिन ओबरॉय का ऑपरेशन पूरा होते होते 30 लोग आतंकवादी हमले का शिकार हो चुके थे। एनएसजी अधिकारी के मुताबिक ओबरॉय में दो आतंकवादी मारे गए और आतंकवादियों के पास से 2 एके 47 राइफलें,1 पिस्टल और कुछ हेंड ग्रेनेड बरामद हुए।

42वां घंटा,
शाम के 4 बजे
तारीख- 28 नवंबर ,2008

42 घंटे बाद भी मुंबई आतंकवादियों की गिरफ्त में थी। ओबरॉय के आजाद होने के बाद थोड़ा सुकुन जरुर मिला था लेकिन नरीमन और ताज में लगातार गोलिबारी जारी थी। गृह मंत्रालय की तरह से बयान जारी किया गया कि ताज में करीब आधा दर्जन आतंकवादी हो सकते है। नरीमन हाउस से बंधकों को तो बाहर निकाल लिया गया था, इसी बीच नरीमन हाउस से भी एक धमाके की आवाज आयी. ताज से तो बाहर की तरह भी दो ग्रेनेड दागे गए।

43वां घंटा,
शाम के 5 बजे
तारीख- 28 नवंबर ,2008

आंतक के 43 घंटे बीत चुके थे होटल ओबरॉय आतंकवादियों के चंगुल से आजाद हो चुका था लेकिन मुंबई की बेहद खूबसूरत इमारत ताज होटल आग में लगी थी और कमांडो फूंक-फूंक कर कदम रख रहे थे। दिन ढलने लगा था। आतंकवादी एक के बाद धमाके कर रहे थे.और इन धमाकों से शाम 5 बजे आचानक होटल ताज जल उठा। इसके 22 मिनट बाद आचानक फायरिंग की तेज आवाजों से होटल दहल उठा। इधर सेना गोले बरसा रही थी उधर आतंकवादी बंधकों का एक-एक कर कत्ल कर रहे थे। 6 बजते-बजते होटल से 2 बंधकों के शव निकाले गये। ओबरॉय में घुप्प अंधेरा छाया हुआ था। यहां सेना का ऑपरेशन खत्म हो चुका था लेकिन होटल की बिजली बंद पड़ी रही। यहां मौत का सन्नाटा छाया हुआ था।

44वां घंटा
वक्त शाम 6 बजे
तारीख- 28 नवंबर,2008

ठीक इसी वक्त कोलाबा का नरीमन हाउस एक जोर दार धमाके से दहल उठा, ये पांच लोगों को अंदर बंधक बना कर छुपे आतंकवादियों की आखिरी कोशिश थी। आतंकवादियों ने जोरदार विस्फोट से पांच मंजिला इमारत का एक हिस्सा उड़ा दिया।

45 वां घंटा
शाम 7 बजे
दिन शुक्रवार
तारीख 28 नवंबर, 2008

शाम के सात बजते ही कोलाबा का नरीमन हाउस गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रा उठा। एनएसजी के कमांडो ने इमारत की चौथी मंजिल पर मौजूद तीन आंतकवादियों को भून डाला और तीसरी मंजिल पर पड़े थे पांच बंधकों के शव। आतंकवादियों का पावर हाउस तबाह हो गया था और लोगों ने कमांडो को कंधे पर उठा लिया। लेकिन ताज होटल में जंग जारी थी. यहां एक के बाद धमाके हो रहे थे। 9 बजकर 33 मिनट तक लगातार 43 धमाके हुए। सेना ने आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने के लिए 22 और कमांडो भेजे। तभी ओबरॉय होटल की बिजली जल उठी। 7 बज चुके थे और यहां सेना शुरु कर रही थी सर्च ऑपरेशन।

52वां घंटा
रात 2 बजे,
दिन- शनिवार
तारीख 29 नवंबर

नरीमन हाउस में हुए जोरदार धमाकों से मुंबई का सन्नाटा एक बार फिर टूटा। ये धमाका आंतवादियों की मौत के बाद का था। 2 बजकर 31 मिनट पर सर्च ऑपरेशन में पता चला कि नरीमन में हथियारों का भारी जखीरा पड़ा हुआ है और आतंकवादियों ने बंधकों के शवों को हैंड ग्रेनेड से बांध रखा है। ये आतंकवादियों के बाद का तबाही का इंतजाम था। 2 बजकर 58 मिनट के बीच नरीमन का इलाका एक के बाद एक 14 धमाकों से थर्रा उठा, इसी बीच 2 बजकर 36 मिनट पर ताज में फिर तेज फायरिंग हुई। आतंकवादी अपनी आखिरी लड़ाई लड़ रहे थे और कमांडो सामने मौत बनकर खड़े थे।

55 वां घंटा

5 बजे
दिन शनिवार,
तारीख 29 नवबंर


मुंबई की सुबह हो गई लेकिन ताज की सुबह अभी तक नहीं हुई थी। ताज अब भी सुलग रहा था। आलीशान इमारत से उठ रही थी आग की लपटें और आसमान में छाया था धुंए का गुबार। लेकिन ताज अब आखिरी जंग लड़ रहा था। सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर फिर शुरु हुए जोरदार धमाके और धमाकों की आवाज से साफ था कि इमारत पर पहली मंजिल पर बने बॉलरुम में सेना औऱ आतंकवादी आमने–सामने है। इस भिंडत में सेना ने नई ताक झोंक दी जब सेना की नई टुकड़ी ने आंतकवादियों पर हमला कर दिया। इसी वक्त कोलाबा के नरीमन हाउस से निकाले जा रहे थे आंतक के बाकी बचे निशान। 5 बजकर 35 मिनट पर जैसे ही यहूदी परिवार का शव निकला लोग तबाही के मंजर देख उठे।

57वां घंटा,
सुबह 7 बजे,
दिन शनिवार ,
तारीख 29 नवंबर


सबकी नजरें ताज के पर टिकी हुई थीं। और सेना के जवान यहां आखिरी जंग लड़ रहे थे। अंदर गोलाबारी की आवाज तेज होती गई और आठ बजते- बजते सेना ने ताज फतह करने का ऐलान कर दिया।

59वां घंटा
सुबह 9 बजे
दिन शनिवार,
तारीख 29 नवंबर


होटल ताज, होटल ओबरॉय, नरीमन प्वांइट तीनों जगाहों से आंतकवादियों का सफाया हो गया था। नेशनल सिक्युरिटी गार्ड(NSG) की ओर से चले रेस्क्यू ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो अब खत्म हो गया था और इसका ऐलान किया गया. ताज से बाहर आतंकवादियों के ढेर हो चुके शव फेंके गये। पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई में तबाही मचाते हुए 164 बेगुनाह लोगों की जान ले ली। हमले में 308 लोग जख्मी भी हुए। इस हमले में हमने कई बहादुर पुलिस और सेना के जवान भी खोए, जो आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। वहीं वहां एक ऐसा जवान भी मौजूद था जिसने कई लोगों की जानें बचाई। हम बात कर रहे हैं शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की। जो इस हमले में 28 नवंबर 2008 को शहीद हो गए थे। उस समय वह 31 साल के थे। संदीप होटल ताज में आतंकियों से भिड़े और 14 लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला था। हमले में जिंदा पकड़े गए एकमात्र कसूरवार अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई देश दुनिया आतंकवाद के इस खेल को तीन रात और तीन दिन तक देखती रही। यहूदू नरीमन हाउस के तबाह होते हुये,खूबसूरत ताज की इमारत को जलते हुये,फंसे हुये लोगों के शीशे तोड़कर भागते हुये,दो साल के मोशे को उसकी नानी दमवारा चाबाद हाउस से निकालते हुये देखखर रूह आज भी कांप जाती है। देश दुनिया 166 निर्दोषों और सुरक्षा बलो के जाबाज अधिकारियों व शहीद जवानों को याद करते हुये यही कामना करेगें कि कल मानवता को फिर ऐसी किसी घटना का गवाह न बनना पड़े।

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