कोरोना की दूसरी लहर से जूझते हुए देश अब फिर से समान्य जीवन में आने की कोशिश कर रहा है। डूबती अर्थव्यवस्था को देखते हुए सरकार अब अनलॉक की तरफ बढ़ रही है। अनलॉक होते ही केस में फिर बढ़ोतरी होने लगी है। दूसरी लहर का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। अब तीसरी लहर भी दस्तक देने वाली है। जानकारों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर सितंबर और अक्तूबर के बीच आसकती है। हालांकि यह दूसरी लहर जैसे तबाही नहीं मचा पाएगी लेकिन जनता की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।

कोरोना के मामलों पर नजर रखने वाले एक सरकारी पैनल के वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर कोरोना से जुड़ी सावधानियां ना बरती गईं तो कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर के बीच अपने पीक यानि चरम पर पहुंच सकती है। 

तीसरी लहर में 1,50,000 से 2,00,000 के बीच मामले बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही जानकारों का कहनाहै कि तीसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने के मामले कम हो सकते है। हालांकि, उन्होंने इस दौरान कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे का भी जिक्र किया। इसके साथ अगर तीसरी लहर के साथ कोई और वेरियंट आता है तो यह देश के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

आइआइटी कानपुर के प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने गणितीय माडल सूत्र से बताया कि, एक नवंबर से संक्रमण की रफ्तार काफी तेज हो सकती है जबकि 15 नवंबर तक संक्रमितों का ग्राफ नीचे आने लगेगा। उनका दावा है कि तीसरी लहर दूसरी से ज्यादा खतरनाक नहीं होगी, लेकिन शारीरिक दूरी का पालन ना, मास्क न पहनना और वायरस का रूप बदलकर हमला करना घातक हो सकता है। उनके आकलन के मुताबिक नवंबर की शुरूआत में देश में रोजाना 1.80 लाख केस आएंगे। प्रो. अग्रवाल ने पहली और दूसरी लहर का सटीक आकलन किया था।

बता दें कि देश में डेल्टा प्लस वेरियंट के काफी केस सामने आए हैं। यही वायरस तीसरी लहर के जिम्मेदार भी हो सकता है। सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में रिकॉर्ड किए गए हैं। वहीं मध्यप्रदेश में भी काफी केस सामने आया है।

हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टिया के हालिया निष्कर्षों के आधार पर महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश को इस वेरिएंट से सतर्क रहने की सलाह दी गई है। और उन्हें आने वाले समय के लिए तैयार रहने के लिए कहा गिया है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इससे बहुत ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

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