भाजपा सरकार अब कृषि फसलों के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने की पूरी तैयारी कर ली है। इस मुद्दे को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। कृषि एग्रीकल्चरल और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी ने किसान उत्पादक संगठनों, व्यापारियों, निर्यातकों, कृषि वैज्ञानिकों, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य संस्थानों के माध्यम से वाराणसी में बैठक किया और एक्सपोर्ट की संभावनाओं पर बात चीत किया।

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इस बैठक में लगभग वाराणसी के 200 से अधिक किसानों ने भाग लिया, इस दौरान बैठक में कृषि वैज्ञानिकों और प्रमुख संस्थानों के अधिकारियों ने क्षेत्र से कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों द्वारा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त अच्छी कृषि करने के लिए अच्छी जानकारी दी। किसानों को जीएपी इंप्लीमेंटेशन, कीट मुक्त खेती सुनिश्चित करने, ताजे फलों और सब्जियों में रोगों की पहचान, पूर्वी उत्तर प्रदेश से कृषि-एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के सारे उपाय बताये।

इस बैठक में आईसीएआर- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सब ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, आईसीएआर- भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, आईसीएआर- भारतीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, आईआरआरआई- दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र, नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र और उत्तर प्रदेश राज्य कृषि और बागवानी विभागों के कृषि वैज्ञानिकों और प्रमुख संस्थानों के अधिकारियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

केले के एक्सपोर्ट को बढावा देने के लिए एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था। जिसमें एपीडा रिजस्टर्ड एक्सपोर्टर के प्रतिनिधि ने किसानों को केले के प्रोसेसिंग के बारे में पूरी जानकारी दी। एपीडा भारत की कृषि उपज को वैश्विक बाजार में एक्सपोर्ट करने के उद्देश्य से सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर कार्य करता है।

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