Sheetala Ashtami 2022: जानें शीतला अष्टमी का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

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Sheetala Ashtami 2022
Sheetala Ashtami 2022

Sheetala Ashtami 2022: होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सभी सदस्यों को रोग और पीड़ा से छुटकारा मिल जाता है। इस व्रत का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है। कई जगह शीतलाष्टमी को बासौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन माता को बासी भोजन का भोग लगाते हैं और उसी को प्रसाद के तौर पर खाते हैं।

Sheetala Ashtami 2022: बासी भोजन का लगाया जाता है भोग

Sheetala Ashtami 2022: कई राज्यों में शीतलाष्टमी को बसौड़ा भी कहा जाता है। यह शब्द बासी भोजन से निकाला गया है। इस दिन देवी को बासी भोग चढ़ाने की मान्यता है। इसके लिए सभी लोग सप्तमी की रात को ही भोग बना लेते हैं और सुबह पूजा के समय इसका भोग लगाया जाता है। कई जगह हलवा पूरी चढ़ाया जाता है तो कहीं मीठे गुलगुले बनाए जाते हैं। कई जगहों पर तो गन्ने के रस की खीर भी बनाई जाती है।

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Sheetala Ashtami 2022 का शुभ मुहूर्त

Sheetala Ashtami 2022: इस साल शीतलाष्टमी 25 मार्च को मनाई जा रही है। इसका शुभ मुहूर्त 25 मार्च की रात 2 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगा और 26 मार्च की दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

Saraswati Puja

Sheetala Ashtami 2022: पौराणिक कथा

Sheetala Ashtami 2022: लोगों के बीच इस व्रत की मान्यता है। लोगों के अनुसार बासी भोग लगाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। दरअसल, एक बार की बात है, प्रताप नगर के गांववासी माता शीतला की पूजा-अर्चना कर के गांव वाले माता को गर्म नैवेद्य का भोग लगा रहे थे। लेकिन इससे देवी का मुंह जल गया। इसके बाद पूरे गांव में आग लग गई।

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लेकिन एक बुढ़िया थी जिसका घर बचा गया। जब गांव वालों ने बुढ़िया से घर न जलने की वजह पूछी तो उसने बताया कि उसने माता शीतला को ठंडा प्रसाद खिलाया था और कहा कि मैंने रात को ही प्रसाद बनाकर ठंडा कर लिया था। जिससे देवी ने प्रसन्न होकर मेरे घर को जलने से बचा लिया। बुढ़िया की बात सुनकर गांव वालों ने इसके बाद से अष्टमी के दिन उन्हें बासी प्रसाद का भोग लगाया जाने लगा था।

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Sheetala Ashtami 2022: शीतला माता की आरती

जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता॥

ॐ जय शीतला माता

रतन सिंहासन शोभित,श्वेत छत्र भाता।

ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावें,

जगमग छवि छाता॥

ॐ जय शीतला माता

विष्णु सेवत ठाढ़े,सेवें शिव धाता।

वेद पुराण वरणतपार नहीं पाता॥

ॐ जय शीतला माता

इन्द्र मृदङ्ग बजावतचन्द्र वीणा हाथा।

सूरज ताल बजावैनारद मुनि गाता॥

ॐ जय शीतला माता

घण्टा शङ्ख शहनाई बाजै मन भाता।

करै भक्त जन आरती लखि लखि हर्षाता॥

ॐ जय शीतला माता

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता।

भक्तन को सुख देती मातु पिता भ्राता॥

ॐ जय शीतला माता

जो जन ध्यान लगावे प्रेम शक्ति पाता।

सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता॥

ॐ जय शीतला माता

रोगों से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता।

कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता॥

ॐ जय शीतला माता

बांझ पुत्र को पावे दारिद्र कट जाता।

ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछताता॥

ॐ जय शीतला माता

शीतल करती जन की तू ही है जग त्राता।

उत्पत्ति बाला बिनाशन तू सब की माता॥

ॐ जय शीतला माता

दास नारायण कर जोरी माता।

भक्ति आपनी दीजै और न कुछ माता॥

ॐ जय शीतला माता

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