Constitution Day पर बोले PM Modi- कुछ लोग अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर विकास की राह में अटकाते हैं रोड़े

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Narendra modi
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Constitution Day के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर विकास की राह में रोड़े अटकाते हैं। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में संविधान दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, ‘सुबह मैं विधायिका और कार्यपालिका के साथियों के साथ था और अब न्यायपालिका से जुड़े आप सभी विद्वानों के बीच हूं। हम सभी की अलग-अलग भूमिकाएं, अलग-अलग जिम्मेदारियां, काम करने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारी आस्था, प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत एक ही है – हमारा संविधान।’

80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज

उन्होंने कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में, और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया। कोरोना काल में पिछले कई महीनों से 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज सुनिश्चित किया जा रहा है। PM गरीब कल्याण अन्न योजना पर सरकार 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है। अभी कल ही हमने इस योजना को अगले वर्ष मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है।

हमने बिना किसी भेदभाव के किया काम: पीएम

पीएम ने कहा कि आज गरीब से गरीब को भी क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर तक वही एक्सेस मिल रहा है, जो कभी साधन संपन्न लोगों तक सीमित था। आज लद्दाख, अंडमान और नॉर्थ ईस्ट के विकास पर देश का उतना ही फोकस है, जितना दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों पर है। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है। संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि Gender Equality की बात करें तो अब पुरुषों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलिवरी के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इस वजह से माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर कम हो रही है।

‘freedom of expression के नाम पर विकास की राह में पैदा की जाती है बाधा’

पीएम मोदी ने कहा कि जिन साधनों से, जिन मार्गों पर चलते हुए, विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है, आज वही साधन, वही मार्ग, विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जो प्रकट रूप से किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में exist करता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपनिवेशवादी मानसिकता, Colonial Mindset समाप्त हो गया है। हम देख रहे हैं कि यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते है। कभी freedom of expression के नाम पर तो कभी किसी और चीज़ का सहारा लेकर।

उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर हम एकमात्र देश हैं और फ़िर भी, ऐसे भारत पर पर्यावरण के नाम पर भाँति-भाँति के दबाव बनाए जाते हैं। यह सब, उपनिवेशवादी मानसिकता का ही परिणाम है। आजादी के आंदोलन में जो संकल्पशक्ति पैदा हुई, उसे और अधिक मजबूत करने में ये कोलोनियल माइंडसेट बहुत बड़ी बाधा है। हमें इसे दूर करना ही होगा और इसके लिए, हमारी सबसे बड़ी शक्ति, हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है।

पीएम ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

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