हिमाचल चुनाव में सबसे बड़ा सिरदर्द बागी कैंडिडेट, क्या नेताओं की बगावत पड़ेगी भारी?

इस बार 68 विधानसभा वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने रिवाज बदलने का नारा दिया है। यानी बीजेपी सालों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने में जुटी है। लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ा चैलेंज अपनों के विरोध को शांत करना ही है।

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Himachal Election 2022
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Himachal Election 2022: हिमाचल प्रदेश के महत्वपूर्ण चुनावों के लिए मतदान शनिवार को सुबह 8 बजे धीमी गति से शुरू हुआ। सबसे पहले अधिकारियों ने ईवीएम की जांच के लिए सभी बूथों पर मॉक पोल किया। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि राज्य में सुबह 11 बजे तक 17.98 प्रतिशत मतदान हुआ है। सिरमौर में सुबह नौ बजे तक जहां 6.26 फीसदी मतदान हुआ वहीं लाहौल में महज 1.56 फीसदी मतदान हुआ। 68 निर्वाचन क्षेत्रों से 412 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव आयोग ने 7,881 मतदान केंद्र बनाए हैं।

कुल 28.5 लाख पुरुष मतदाता, 27 लाख महिला मतदाता और तीसरे लिंग के 38 मतदाता यह तय करेंगे कि अगले पांच वर्षों में किस पार्टी की सरकार बनेगी। अधिकतम 15 विधानसभा सीटों के साथ कांगड़ा जिला चुनाव की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण है। बता दें कि राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर कई बागी नेता ने बगावत भी कर दिया था। आइए जानते हैं कि बागियों की बगाबत से राज्य में भाजपा, कांग्रेस को कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है। सबसे पहले बात बीजेपी की करते हैं:

नेताओं की बगावत से बीजेपी परेशान

इस बार के चुनाव में बीजेपी की जो सबसे बड़ी समस्या है वह उसके अपने ही नेता हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद करीब 30 ऐसे नेता हैं जो पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में किसमत आजमा रहे हैं। जिनमे 20 प्रमुख नेता हैं। बता दें कि यह केवल बीजेपी की परेशानी नहीं, बल्कि कांग्रेस में भी करीब 15 से ज्यादा नेता बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें छह प्रमुख नेता है। ये नेता पार्टी को अंदर से खोखला कर रहे हैं। यही कारण है कि दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता दूसरों से ज्यादा अपनों के खिलाफ रणनीति को धार देने में जुटे थे।

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जब कृपाल परमार को मोदी ने किया फोन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के एक बागी नेता को मनाने की कोशिश की थी, लेकिन वो नहीं माने। बात बीजेपी के बागी नेता कृपाल परमार की हो रही है, जिनका प्रधानमंत्री के साथ कथित फोन कॉल वायरल हुआ है। कृपाल परमार मजबूती से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मुकाबले में बने हुए हैं।

हिमाचल प्रदेश चुनाव में फतेहपुर सीट से बीजेपी के पूर्व सांसद परमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। 63 वर्षीय नेता अपनी पार्टी से पिछले साल ही नाराज हो गए थे जब उन्हें फतेहपुर उपचुनाव में नहीं उतारा गया था। इसके बाद वो पार्टी से विद्रोह करते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर उन्हें टिकट नहीं देने का आरोप लगाया था। वहीं अन्य बागियों में देहरा से होश्यार सिंह, इंदौरा से मनोहर धीमान और निर्मल प्रसाद , जसवान-प्रागपुर से संजय प्रसार,ज्वालामुखी से अतुल कौशल चौधरी जैसे बागी मैदान में हैं।

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कृपाल परमार

कांग्रेस के भी 6 बागी ठोक रहें हैं ताल

अगर कांग्रेस की बात करें तो छह बागी अभी भी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, दो पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट और जगजीवन पाल समेत छह नेताओं को पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर ने पच्छाद से कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने को पर्चा भरा है। वहीं, सुलह के पूर्व विधायक जगजीवन पाल, चौपाल के पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट, ठियोग से विजय पाल खाची, आनी से परस राम और जयसिंहपुर से सुशील कौल पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं। इन सभी को पार्टी ने निष्कासित किया है।

गौरतलब है कि इस बार 68 विधानसभा वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने रिवाज बदलने का नारा दिया है। यानी बीजेपी सालों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने में जुटी है। लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ा चैलेंज अपनों के विरोध को शांत करना ही है। बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के लाख प्रयास के बाद भी अब तक 20 बड़े कद के नेता अपनी ही पार्टी से बगावत करके चुनाव मैदान में हैं। निश्चित रूप से इन नेताओं के खफा होने से पार्टी को राज्य चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है।

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