Old Pension Scheme: राजस्थान सरकार ने लागू की पुरानी पेंशन व्यवस्था, जानिए क्या है OPS और NPS?

0
504
Rajasthan Political Crisis Live Updates: राजस्थान में नची सियासी हलचल को देखते हुए कंग्रेस हाईकमान एक बड़ा फैसला ले सकती हैं।
Rajasthan Political Crisis Live Updates: राजस्थान में नची सियासी हलचल को देखते हुए कंग्रेस हाईकमान एक बड़ा फैसला ले सकती हैं।

Old Pension Scheme: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज अपने कार्यकाल का चौथा बजट पेश किया। अपने बजट भाषण के दौरान उन्होंने 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की योजना की घोषणा की। इस लोकलुभावन बजट को राज्य में अगले साल होंने जा रहे विधानसभा चुनाव से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। अशोक गहलोत ने बजट भाषण के दौरान कहा कि जिन कर्मचारियों की नियुक्ति एक जनवरी 2004 के बाद हुई है उन्हें भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने लिया वेतन कटौती का फैसला वापस

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आज कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने भी कर्मचारियों के वेतन में कटौती के राज्य सरकार के 2017 के फैसले को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि सरकारी सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को भविष्य के बारे में सुरक्षित महसूस करना चाहिए, तभी वे सेवा अवधि के दौरान सुशासन की दिशा में अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं। इसलिए मैं एक जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को अगले साल से लागू करने की घोषणा करता हूं।

Ashok Gehlot1
Old Pension Scheme: Ashok Gehlot

इसके अलावा गहलोत ने स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़ी घोषणाएं भी कीं। मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की तर्ज पर अगले वर्ष से शहरी क्षेत्रों में 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध होगा। उन्होंने मौजूदा 100 दिनों की योजना के बजाय मनरेगा के तहत 125 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की भी घोषणा की।

सरकारी कर्मचारी Old Pension Scheme को मानते हैं बेहतर

गौरतलब है कि ज्यादातर सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था को इसलिए बेहतर मानते हैं क्योंकि इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है। जनवरी 2004 में एनपीएस लागू होने से पहले, जब एक सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त होता था, तो उसकी पेंशन उसके अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर तय की जाती थी। ओपीएस में नौकरी के 40 साल हों या 10 साल,पेंशन की रकम आखिरी सैलरी यानी तयशुदा लाभ योजना से तय होती है।

इसके विपरीत, एनपीएस एक निश्चित अंशदान योजना है, यानी पेंशन राशि काम किए गए वर्षों की संख्या और वार्षिकी राशि पर निर्भर करती है। एनपीएस के तहत हर महीने एक निश्चित राशि का योगदान किया जाता है। सेवानिवृत्ति पर कुल राशि का 60 प्रतिशत एकमुश्त निकाला जा सकता है और शेष 40 प्रतिशत बीमा कंपनी के वार्षिकी योजना से खरीदना होता है, जिस पर ब्याज की राशि हर महीने पेंशन के रूप में दी जाती है।

इस मामले में बेहतर है NPS

सरकारी कर्मचारी मानते हैं कि OPS एक सुरक्षित विकल्प है, लेकिन NPS का पैसा भी इक्विटी में निवेश किया जाता है, जिससे लंबी सेवा अवधि के बाद सेवानिवृत्ति पर अधिक रिटर्न मिल सकता है। इसके अलावा एनपीएस कर की दृष्टि से बेहतर है क्योंकि 1.5 लाख रुपये तक के एनपीएस योगदान पर कुल कटौती का दावा किया जा सकता है और एलआईसी प्रीमियम के साथ संयुक्त एनपीएस योगदान पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा किया जा सकता है, यानि 2 लाख रुपये तक के एनपीएस योगदान का दावा किया जा सकता है।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि नियोक्ता किसी भी वर्ष में 6.5 लाख रुपये से अधिक का योगदान देता है, तो अतिरिक्त राशि आय में जोड़ दी जाती है और उस पर कर का भुगतान करना होता है। बताते चलें कि देश में बहुत दिनों से पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग की जा रही है। ऐसे में राजस्थान सरकार के इस फैसले के बाद से अन्य राज्यों में भी इसकी मांग तेज हो सकती है।

संबंधित खबरें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here