मुंशी प्रेमचंद्र की आज जयंती है। 31 जुलाई 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गांव में कहानियों के सम्राट प्रेमचंद का जन्म हुआ था। उन्होंने बचपन में काफी गरीबी देखी है। उनके पिता डाकखाने में एक छोटी नौकर करते थे। प्रेमचंद ने इस कदर बचपन से ही आर्थिक तंगी का सामना किया है।

हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद्र को कहानियों का सम्राट कहा जाता है। किसी भी लेखक का लेखन जब समाज की गरीबी, शोषण, अन्याय और उत्पीड़न पर होता है तो वह लेखक अमर हो जाता है। प्रेमचंद ऐसे ही लेखक थे। उन्होंने रहस्य, रोमांच और तिलिस्म को अपने साहित्य में जगह नहीं दी बल्कि धनिया, झुनिया, सूरदास और होरी जैसे पात्रों से साहित्य को एक नई पहचान दी जो यथार्थ पर आधारित था। मुंशी प्रेमचंद का गोरखपुर से काफी अच्छा रिश्ता है। उनका बचपन शहर की गलियों में बीता ही था लेकिन जब वह नौकरी के दौरान गोरखपुर आए तो शहर के बेतियाहाता स्थित निकेतन में पांच साल रहकर उन्होंने अपनी दो मशहूर कहानियां तैयार कर दी।

धनपत राय ‘मुंशी प्रेमचंद’ का बचपन गोरखपुर के तुर्कमानपुर मोहल्ले में ही बीता था, शिक्षा विभाग की नौकरी के दौरान उनका तबादला हुआ तो वह 1916 में गोरखपुर एक बार फिर वापस आ गए। उन्होंने बेतियाहाता स्थित मुंशी प्रेमचंद पार्क में स्थित निकेतन को अपना आशियाना बनाया। उसके बाद वह इस निकेतन में तबतक रहे, जब तक उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र नहीं मिला।

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त्यागपत्र देने की वजह महात्मा गांधी का वह प्रभावशाली भाषण था, जो उन्होंने 1921 में बाले मियां के मैदान में आयोजित एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए दिया था। त्यागपत्र देने के तीन दिन बाद ही वह निकेतन छोड़कर वाराणसी लौट गए।

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ये दो प्रमुख कहानियां ‘ईदगाह’ और ‘नमक’ का दारोगा

‘ईदगाह’ और ‘नमक का दारोगा’ जैसी मशहूर कहानियां प्रेमचंद ने बेतियाहाता स्थित निकेतन में रहते हुए लिखी थी। ईदगाह की पृष्ठभूमि उन्हें निकेतन के ठीक पीछे मौजूद हजरत मुबारक खां शहीद के दरगाह के सामने की ईदगाह से मिली थी तो नमक का दारोगा की पृष्ठभूमि राप्ती नदी के घाट से। निकेतन को धरोहर मानते हुए यहां पार्क विकसित कर दिया गया और उस पार्क को मुंशी जी का नाम रख दिया गया। निकेतन में मुंशी प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी की तकफ से बनवाई गई प्रेमचंद की प्रतिमा उनकी याद के तौर पर मौजूद थी, जिसे 2014 में एक तत्कालीन अपर आयुक्त ने पार्क के गेट पर लगवा दिया। इस समय निकेतन में प्रेमचंद साहित्य संस्थान की ओर से लाइब्रेरी का देखभाल और संचालन किया जाता है।

By Manish Raj

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