Prayagraj दशहरा दुर्गा पूजा पंडालों में स्थापित मूर्तियों का विसर्जन संगम क्षेत्र गंगा किनारे राम घाट के समीप काली सड़क के बने कृत्रिम तालाब में किया जायेगा। Allahabad High Court ने जिला प्रशासन से मूर्ति विसर्जन के संबंध में डॅा. पी के राय की 2015 में दाखिल याचिका पर 5 अक्टूबर 15 को पारित आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी (M N Bhandari) तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल (Piyush Agarwal) की खंडपीठ ने बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव पी के राय व सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र पाण्डेय की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा की बहस
याचिका में मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था को लेकर पारित हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता राय ने 2015 में मूर्ति विसर्जन को लेकर याचिका दायर की थी। सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल कर आश्वासन दिया गया था कि मूर्ति विसर्जन की समुचित व्यवस्था की जायेगी।
जिसके तहत राम घाट पर गंगा किनारे 130 मी लंबा 40 मी चौड़ा व 7 फीट गहरा तालाब खोदा गया था। पहुंच मार्ग ,लाइट व्यवस्था, गंगा जल भरा तालाब व विसर्जन के प्लेटफार्म आदि इंतजाम किए गए थे। कोर्ट ने जिलाधिकारी को अपने विवेक से व्यवस्था करने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह व्यवस्था 2014 में भी लागू की गई थी। जिसे कोर्ट के आदेश पर 2018 तक चलाया गया। 2019 व 2020 में अंदावां के तालाब में मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की गई थी। इस वर्ष फिर से गंगा किनारे कृत्रिम तालाब बनाकर मूर्ति विसर्जन के पुराने आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट के इस आदेश से बारवारियों ने खुशी जाहिर की है। इलाहाबाद दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष एन के चटर्जी व संरक्षक एस सी मिश्र, बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॅा. पी के राय ने अधिवक्ता द्वय का प्रकरण पर कोर्ट आदेश प्राप्त करने के लिए आभार प्रकट किया है।
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