राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी NGT के सामने एक दिलचस्प मामला सुनवाई के लिए आया है। NGT के समाने दाखिल की गई एक याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि एयरलाइन्स अपने हवाई जहाजों की एयरपोर्ट पर लैंडिग कराने से पहले ही मानव मल को हवा में ही बाहर फेंक देती हैं। हांलाकि आधुनिक यात्री हवाई जहाजों में जो तकनीक रहती है उसके चलते ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ती लोकिन फिर भी NGT ने नमूनों के परीक्षण का आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली NGT की बेंच जिसमें जस्टिस जावेद रहीम, रघुवेंद्र एस राठौर और बिक्रम सिंह शामिल हैं को बताया कि इस मामले में पड़ताल की गई है और वह नमूने जिन्हें मानव मल कहा जा रहा है उन्हें आगे की जांच के लिए हैदराबाद की प्रयोगशाला में भेजा गया है।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि जो नमूने इकट्ठे किए गए हैं वो सामान्य तौर पर देखने में काले और पीले रंग के दिखते हैं लेकिन फिर भी इनमें यूरिक एसिड है या नहीं इसकी जांच के लिए इन्हें हैदराबाद भेजा गया है।

बेंच ने याचिकाकर्ता को जांच की पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है साथ ही एक हफ्ते के अंदर इस पूरे मामले पर विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है।  बेंच ने ये भी कहा है कि इस शपथ पत्र की एक कॉपी प्रतिवादी को भी दी जाए और और वह भी इसके बाद मामले में अपना शपथ पत्र दाखिल करे।

NGT ने पहले भी लगाया था जुर्माना

NGT दिसंबर 2016 में इसी तरह के मामले में 50 हजार रुपये का जुर्माना एयरलाइन्स पर लगा चुका है, तब NGT ने नगर विमानन महानिदेशालय यानी DGCA को सभी एयरलाइन्स को इस बारे में दिशा निर्देश जारी करने का आदेश भी दिया था कि वह लैंड करने से पहले हवा में मानव मल ना फेंके। NGT ने यह भी कहा था कि DGCA एयलाइन्स को यह बता दें कि विमानों के लैंड करने के तुरंत बाद उनका औचक निरिक्षण किया जा सकता है और अगर मल एकत्र करने वाले टैंक खाली पाए जाते हैं तो हर एक गलती पर 50 हज़ार रुपये पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर वसूले जाएंगे।

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