गुरुवार को Mamata Banerjee की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने OpIndia की संपादक नुपुर शर्मा और अन्य के खिलाफ दर्ज मामलो को वापस ले लिया है। West Bengal सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि आपके द्वारा उठाया गया यह कदम एक नई शुरुआत होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि दूसरे राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे और राज्य सरकारों से अलग विचार रखने वालों के खिलाफ राज्य द्वारा कोई कार्यवाई नही की जाएगी।
Supreme Court ने कार्रवाई पर लगाया था रोक
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर की गई तीनो FIR पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई न करने का निर्देश देते हुए पिछले साल नोटिस जारी किया था। जबकि एक और दाखिल FIR पर इस साल सितंबर में रोक लगा दी थी।
पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में लगायी थी गुहार
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया था कि इस पोर्टल पर पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचनात्मक खबर दिखाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया गया है। जबकि अन्य मीडिया संगठनों द्वारा भी खबर प्रकाशित की गई थी, लेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस ने सिर्फ ओपइंडिया के संपादकों के खिलाफ ही कार्रवाई की। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि पुलिस की कार्रवाई मनमानी, कठोर और संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत प्रेस की आजादी के खिलाफ है और उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है।
‘न्यूज को हटाने का था दबाव’
इसके अलावा यह भी कहा गया कि FIR की कॉपी याचिकाकर्ताओं को नही दी जा रही है और नही उसे आधिकारिक वेबसाइड पर ही अपलोड किया जा रहा है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलिस द्वारा उनपर कथित न्यूज़ को हटाने का भी दबाव डाला गया था।
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