पीएम मोदी के दौरा रद्द होने पर Indira Gandhi क्यों हैं चर्चा में, जानिए यहां

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे रद्द होने के कारण Indira Gandhi चर्चा में हैं। दरअसल बीते बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर दौरे को लेकर सुरक्षा में हुई चूक पर सियासी घमासान जारी है।

पंजाब में किसान प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को 15 मिनट तक रास्ते में रोका रखा था। जिसके बाद सुरक्षा कारणों से पीएम का पंजाब दौरा रद्द कर दिया गया और वो बठिंडा हावई अड्डे से वापस दिल्ली को लौट गये थे।

इसके बाद से सियासत ने अपना रंग दिखान शुरू कर दिया। एक तरफ भाजपा आरोप लगा रही है कि पंजाब की चन्नी सरकार ने पीएम की सुरक्षा को लेकर व्यापक प्रबंध नहीं किये थे वहीं कांग्रेस का कहना है कि पीएम के सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार के उपर नहीं बल्कि एसपीजी पर थी, ऐसे में राज्य सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सरका है।

Indira Gandhi की नाक एक चुनावी जनसभा में टूटी थी

इसी घटनाक्रम में ट्विटर पर #IndiraGandhi ट्रेंड कर रहा है क्योंकि साल 1967 के चुनाव में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधा एक चुनावी जनसभा में हुए पथराव में बुरी तरह से घायल हो गई थीं। क्या थी वो घटना हम बता रहे हैं यहां विस्तार से।

साल 1967 में चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नाक ईंट के एक वार से टूट गई थी, जब फरवरी महीने में इंदिरा गांधी ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं।

साल 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस का यह पहला चुनाव था। यही वह दौर था जब संसद में डॉक्टर राममनोहर लोहिया इंदिरा गांधी के लिए ‘गूंगी गुड़िया’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया करते थे।

Indira Gandhi
Indira Gandhi

इंदिरा गांधी जब चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बन गई तो बाद के वर्षों में कई बार इस बात की अफवाह उड़ी की इंदिरा गांधी ने सुंदर दिखने के लिए अपने नाक की प्लास्टिक सर्जरी करवाई है। लेकिन सच तो यही है कि नफरत की शिकार बनी इंदिरा गांधी पर साल 1967 में ओडिशा की एक जनसभा में हमला हुआ और हमलावरों ने ईंट मारकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की नाक तोड़ दी थी।

हालंकि बाद के वर्षों में साल 1984 में Indira Gandhi को खालिस्तान उग्रवाद की हिंसा के कारण अपनी जान देनी पड़ी। खैर 1984 की बात फिर कभी। अभी लौटते हैं ओडिशा पर।

ओडिशा की जनसभा में जब Indira Gandhi के खिलाफ नारा लगने लगा और भीड़ बेकाबू होने लगी तो इंदिरा गांधी ने माइक संभाला और बोलीं, “क्या इसी तरह आप देश को बनाएंगे? क्या आप इसी तरह के लोगों को वोट देंगे।”

Indira Gandhi के सुरक्षाकर्मियों ने कहा वो जनसभा छोड़ दें

अभी वो इतना ही बोल पायी थीं कि जनता के बीच से ईंट का एक बड़ा सा टुकड़ा सीधे आकर उनकी नाक पर लगा और नाक से खून का फव्बारा फूट पड़ा। उनकी सुरक्षा में तैनात अधिकारियों उन्हें मंच से हटा जाने को कहा। कांग्रेस कार्यकर्ता भी इंदिरा से कहने लगे कि वो भाषण को रोक दें और मंच के पीछे जाकर दवा ले लें।

मगर इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी। Indira Gandhi हमले के बावजूद डटीं रहीं और नाक से बहते खून को रोकने के लिए रूमाल लगाकर अपने भाषण को जारी रखा।

इंदिरा गांधी ने जनसभा से कहा, ‘ये मेरा अपमान नहीं है बल्कि देश का अपमान है क्योंकि प्रधानमंत्री होने के नाते मैं देश का प्रतिनिधित्व करती हूं’।

अगले दिन देश को अखबारों के जरिये इंदिरा गांधी के घायल होने जानकारी मिली। पूरे देश सकते में था औऱ यहीं से इंदिरा गांधी का राजनीतिक ग्राफ उपर उठने लगा।

Indira Gandhi ने टूटी नाक के साथ कोलकाता में भी जनसभा की

घटना के अगले दिन इंदिरा गांधी के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें दिल्ली वापस लौटने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया औऱ पहले से तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक अपनी अगली जनसभा के लिए कोलकाता पहुंची। वहां उन्होंने टूटी नाक पर पट्टी लगवा भाषण दिया।

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जब इंदिरा गांधी कोलकाता से दिल्ली वापस लौटीं तो डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनके नाक की हड्डी टूट गई है और इसे सही करने के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र रास्ता है। डॉक्टरों ने इंदिरा गांधी को बेहोश करके उनकी नाक का आपरेशन किया।

हालांकि बाद में वो मजाक में कहती थीं कि मुझे तो लग रहा था कि डॉक्टर प्लास्टिक सर्जरी करके मेरी नाक को सुंदर बना देंगे। लेकिन उन्होंने केवल नाक की हड्डी को सही किया और मैं वैसी की वैसी ही रह गई।

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