Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अगर रिलेशनशिप में रह रहे दो लोगों के बीच किसी कारण दरार आ जाए तो लड़की लड़के पर ये आरोप नहीं लगा सकती कि उसका रेप हुआ है। रिलेशनशिप के दौरान बनाए गए शारीरिक संबंध आपसी सहमति से होता है इसलिए लड़की बलात्कार (Rape) का आरोप नहीं लगा सकती। कोर्ट ने ये सुनवाई करते हुए एक युवक को रेप के मामले में जमानत दे दी। जस्टिस हेमंत गुप्ता और विक्रम नाथ की खंडपीठ ने ये टिप्पणी करते हुए युवक को अग्रिम जमानत दी है। युवक पर बलात्कार, अप्रकुतिक अपराध और आपराधिक धमकी का आरोप लगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायकर्ता स्वेच्छा से अपीलकर्ता के साथ रह रही है और उसके साथ शारीरिक संबंध थे। अब अगर संबंध टूट चुका है तो यह धारा 376 (2) (N) IPC के तहत अपराध के लिए शिकायत दर्ज कराने का आधार नहीं हो सकता है। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए बेंच ने कहा कि गिरफ्तारी की स्थिति में जमानत की मांग करने वाले अपीलकर्ता को बेल दी जाएगी और वह जांच में सहयोग भी करता रहेगा।
Supreme Court: याचिकाकर्ता युवक ने कोर्ट से कहीं ये बाते
कोर्ट में अपील करने वाले युवक ने कोर्ट के सामने अपने बचाव में कई तर्क पेश किए। उसने बताया कि उसके और शिकायतकर्ता युवती के बीच साल 2015 में सहमति से रिलेशनशिप था। रिलेशनशिप खत्म होने के बाद युवती की ओर से धारा 376 (2), 377 और 506 के तहत केस दर्ज कराया गया था। युवक ने कोर्ट को बताया कि जब वो साल 2015 में 18 साल का था तब उसने 20 साल की लड़की के साथ सहमति संबंध बनाए थे। बाद में युवती ने किसी और से शादी कर ली जिसकी जानकारी युवक को नहीं थी।
जमानत के लिए याचिका दायर करने वाले युवक के वकील अर्जुन सिंह भाटी ने कहा कि 2021 में उनके मुवक्कील की सरकारी नौकरी लग गई, इसके दोनों अलग हो गए। 2019 में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं रहे बावजूद इसके युवती ने झूठे आरोप लगा कर मामला दर्ज कराया है। युवती ने पैसे की उगाही के लिए परेशान करने के झूठे आरोप लगाए और इस मामले में युवती ने युवक के पिता और भाई पर भी झूठे आरोप लगाए थे।
Supreme Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए, अपने 19 मई के आदेश में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया था। साथ ही कहा था कि यह एक स्वीकृत स्थिति है कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता से शादी करने का वादा करके उसके साथ संबंध बनाए थे और उनके संबंध के कारण एक लड़की का जन्म हुआ था। यही कारण है कि इसकी इस गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज की जाती है।
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