Sharad Yadav Passes Away: OBC राजनीति के पुरोधा और 10 बार के सांसद शरद यादव, मंडल कमीशन को लागू करवाने में निभाई बड़ी भूमिका

Sharad Yadav Passes Away: जेपी से लेकर, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी वीपी.सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी लंबे समय तक काम किया।कुल 7 बार लोकसभा सांसद चुने गए और 3 बार राज्यसभा सांसद भी बने।शरद यादव समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों बेहद प्रभावित थे।

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Sharad Yadav Passes Away top hindi news
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Sharad Yadav Passes Away: भारतीय राजनीति की ऐसी आवाज जिसने समाजवादी विचारधारा को बल देते हुए देश के विकास को आगे लाने पर जोर दिया।ऐसी ही प्रखर आवाज अब हमेशा के लिए बंद हो गई।जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने 75 साल की उम्र दुनिया को अलविदा कह दिया।शरद यादव की पहचान ओबीसी की राजनीति में बड़े नेता के रूप में की जाती है। उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाने में बड़ी भूमिका भी अदा की।
देश की राजनीति में एक अलग स्‍थान रखने वाले शरद यादव ने कई राजनीति के दिग्‍गजों के साथ काम किया।

जेपी से लेकर, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी वीपी.सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी लंबे समय तक काम किया।कुल 7 बार लोकसभा सांसद चुने गए और 3 बार राज्यसभा सांसद भी बने।शरद यादव समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों बेहद प्रभावित थे। उन्हीं से प्रेरित होकर उन्‍होंने कई राजनीतिक आंदोलनों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।आपातकाल के दौरान मीसा के तहत 1969-70, 1972, और 1975 में उन्‍हें गिरफ्तार भी किया गया।

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Sharad Yadav Passes Away: जानिए शरद यादव के राजनीतिक जीवन की कहानी

प्रखर समाजवादी नायक शरद यादव ने वर्ष 1971 से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।इस दौरान वे 7 बार लोकसभा के लिए सांसद चुने गए।
3 बार राज्यसभा सदस्य चुने गए।मात्र 27 साल की आयु में पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे।
इसके बाद उन्‍होंने पलटकर नहीं देखा।उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट और उसके बाद बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट उनकी बेहद खास सीट रही, यहीं वे लगातार सांसद चुने गए। 

Sharad Yadav Passes Away: 1978 में युवा लोकदल के अध्‍यक्ष बने

साल 1978 में उन्‍होंने युवा लोक दल के अध्यक्ष के रूप में कमान संभाली।1981 में शरद यादव की सियासत अब मध्य प्रदेश से घूमकर उत्तर प्रदेश आ गई। इस दौरान शरद यादव पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के नजदीक आ गए। सन 1980 में उन्हें करारी शिकस्‍त का सामना करना पड़ा। संजय गांधी की मौत के बाद 1981 में अमेठी में उपचुनाव हुआ।इस चुनाव में शरद यादव राजीव गांधी के खिलाफ मैदान में उतरे।उन्हें बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा।

बात 1992 की है।जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी जनता पार्टी से नाता तोड़ा और समाजवादी पार्टी का गठन किया।उसी साल चौधरी अजीत सिंह ने भी आरएलडी का गठन किया।ये जनता दल के लिए सबसे बड़ा नुकसान था।बाद में 1994 में जॉर्ज फर्नांडीज और नीतीश कुमार ने अलग होकर समता पार्टी का गठन किया।उसके बाद नीतीश और फर्नांडीज की पार्टी का विलय शरद यादव की अगुवाई वाली जेडीयू में हो गया।

Sharad Yadav Passes Away: 1991 से मधेपुरा सीट से मैदान में उतरे शरद यादव

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शरद यादव ने एमपी, यूपी के बाद संसदीय राजनीति का सफर बिहार से शुरू किया।बिहार की मधेपुरा सीट से चुनावी दंगल में उतरे और 1991, 1996, 1999 और 2009 में इस सीट से चुनाव जीते।

इस सीट से उन्हें 4 बार हार का मुंह भी देखना पड़ा।यहां उन्‍हें लालू यादव ने भी शिकस्‍त दी।आखिर पहली बार 1998 में और फिर 2004 में पप्पू यादव ने उन्हें 2014 में हराया।साल 2019 में जेडीयू के दिनेश यादव ने उन्‍हें हराया।
साल 1995 में वे जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1997 में जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। नीतीश कुमार और शरद यादव दोनों समावादी दिग्गजों के बीच टकराव बढ़ता गया।शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग पार्टी का गठन कर लिया।
लगातार गिरते स्वास्थ्य ने उनकी सक्रिय राजनीति को लगभग खत्म कर दिया।उन्होंने मार्च 2022 में अपनी पार्टी का राजद में विलय कर दिया। तब शरद यादव ने कहा कि दो यादव एक साथ आ रहे हैं।एक लालू यादव और दूसरे शरद यादव।

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