RBI MPC Meeting: RBI मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक 6 अप्रैल से हो रही है शुरू, 8 अप्रैल को जारी किए जाएंगे नतीजे

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों के मोर्चे पर आम जनता को राहत मिल सकती है

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RBI MPC Meeting: आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक छह से आठ अप्रैल को होने जा रही है। आपको बता दें कि ये वित्त वर्ष 2022-23 की पहली बैठक है, इस पूरे साल में कुल छह बैठक होने वाली है। इस बैठक में रेपो रेट पर फैसला होने वाला है। अब देखना यह कि आरबीआई रेपो रेट में कोई बदलाव करता भी है या नहीं।

बता दें कि इस बैठक में मौजूदा घरेलू और आर्थिक स्थितियों पर विचार-विमर्श के बाद द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की जाएगी। वहीं आपको बता दें कि आरबीआई की दूसरी बैठक छह से आठ जून को होगी। उसके बाद तीसरी, चौथी और पांचवी बैठकें, दो से चार अगस्त, 28-30 सितंबर और 5-7 दिसंबर के बीच होंगी। बता दें कि पिछली बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था।

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RBI MPC Meeting: रेपो रेट में बदलाव की कम उम्मीद

अर्थशास्त्रियों द्वारा जारी किए गए पोल के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक अपनी पहली ब्याज दर में वृद्धि को कम से कम चार महीने यानी अगस्त तक देरी कर सकता है। आरबीआई की मुद्रास्फीति (महंगाई) इस साल अब तक 6% ऊपरी सीमा से ऊपर रही है, जिससे विकास को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई द्वारा दरों को कम रखने की अपनी मौजूदा रणनीति पर क्या आदेश जारी होगा, यह देखना होगा।

ब्याज दरों में बदलाव की संभावना कम

बता दें हाउसिंग.कॉम (Housing.com), मकान.कॉम और प्रॉपटाइगर (Makaan.com).कॉम के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के कारण मुद्रास्फीति के दबाव में वृद्धि को देखते हुए रिजर्व बैंक के लिए यथास्थिति को कायम रखना मुश्किल होगा।

जबकि कुछ केंद्रीय बैंक तो इससे पहले इस चक्र में उधार लेने की लागत बढ़ा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 50 में से 6 उत्तरदाताओं द्वारा शुक्रवार को 29 मार्च से 5 अप्रैल तक किए गए मतदान में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं होने का अनुमान लगाया है। पच्चीस ने तीसरी तिमाही में रेपो दर 25 आधार अंकों से 4.25% तक चढ़ने का अनुमान लगाया गया है।

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कहा जा रहा है कि बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक में यूक्रेन और रूस के युद्ध का जरिया देकर तेल की कीमतों में वृद्धि की बात कही जा सकती है। यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद कच्चे तेल की कीमत लगभग 140 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जो 2008 के बाद से सबसे अधिक है।

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बार्कलेज (Barclays) बैंक के भारत के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि, “मौजूदा परिस्थितियों में, आप यह नहीं कह सकते कि अर्थव्यवस्था पहले के अनुमान के मुताबिक ठीक होने जा रही है।

केंद्रीय बैंक इस बैठक में देश भर में उपभोक्ता खर्च पर बढ़ती मुद्रास्फीति के प्रभाव का आकलन करेगा, जो बदले में जीडीपी वृद्धि की वांछित गति को सीधे प्रभावित कर सकता है।” वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer price index ) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति को वित्त वर्ष 2013 के लिए 100 आधार अंकों तक बढ़ाकर लगभग 5.5% तक संशोधित किया जा सकता है।

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