“पीड़ित हूं, आतंकी नहीं”… रिहाई के बाद बोले राजीव गांधी के हत्या के दोषी रविचंद्रन

दरअसल, मदुरई केंद्रीय कारागार से रिहा होने के बाद न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रविचंद्रन ने कहा कि नार्थ इंडिया के लोगों को हमें आतंकवादी या हत्यारे के बजाय पीड़ित के रूप में देखना चाहिए।

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Rajiv Gandhi Assassination Case:
Rajiv Gandhi Assassination Case: "पीड़ित हूं, आतंकी नहीं"… रिहाई के बाद बोले राजीव गांधी के हत्या के दोषी रविचंद्रन

Rajiv Gandhi Assassination Case: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्याकांड के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। आरोप में गिरफ्तार 6 दोषियों में से एक रविचंद्रन ने जेल से बाहर आने के बाद कहा, “उन्हें आतंकवादियों या हत्याओं के रूप में देखने के बजाय पीड़ितों के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय उन्हें ‘निर्दोष’ के रूप में आंकेगा।

दरअसल, मदुरई केंद्रीय कारागार से रिहा होने के बाद न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रविचंद्रन ने कहा कि नार्थ इंडिया के लोगों को हमें आतंकवादी या हत्यारे के बजाय पीड़ित के रूप में देखना चाहिए। समय और शक्ति निर्धारित करती है कि कौन आतंकवादी या स्वतंत्रता सेनानी है। करीब 3 दशक बाद जेल से बाहर आने के बाद रविचंद्रन ने कहा समय हमें निर्दोष के रूप में आंकेगा, भले ही हम आतंकवादी होने के लिए दोषी हों।

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Rajiv Gandhi Assassination Case: सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास से किया रिहा

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने रविचंद्रन, नलिनी श्रीहरन और अन्य को यह कहते हुए आजीवन कारावास से रिहा कर दिया कि उन सभी 6 ने अपराध के लिए अपनी सजा पूरी कर ली है। रविचंद्रन ने राजीव गांधी की हत्या के पीछे एक बड़ी साजिश का हिस्सा होने से भी इनकार किया है।

देश के उच्च न्यायालय ने बीते दिनों संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का उपयोग करते हुए इस साल 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। जिसने 30 साल से अधिक जेल की सजा काट ली थी। बीते शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका पिछला आदेश अन्य सभी दोषियों पर समान रूप से लागू होता है।

Rajiv Gandhi Assassination Case: 1991 में हुई थी पूर्व PM राजीव गांधी की हत्या

बता दें कि राजीव गांधी, 40 वर्ष की आयु में देश के प्रधानमंत्री बने थे। 21 मई, 1991 को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी। राजीव दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री थे जिनकी हत्या कर दी गई थी। इससे पहले उनकी मां इंदिरा गांधी को भी उनके अंगरक्षकों ने ही मार डाला था। यहां हम बताते हैं कि राजीव गांधी की हत्या क्यों और कैसे हुई। महिला आत्मघाती हमलावर धनु और लिट्टे के अन्य लोगों ने हत्या की योजना बनाई। वे दिवंगत अन्नाद्रमुक नेता जयललिता की रैली में गए।

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21 मई को राजीव रात 10 बजे के बाद श्रीपेरंबदूर में रैली स्थल पर पहुंचे। वहां पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग दीर्घाएं थीं। राजीव पहले पुरुष वर्ग में गए और फिर महिला वर्ग में गए। राजीव ने महिलाओं से संपर्क किया और अनुसूया डेज़ी नाम की एक पुलिसकर्मी को धनु को अपने पास आने से रोकने से मना कर दिया। क्षण भर बाद, धनु ने खुद को बम से उड़ा लिया और गांधी और 14 अन्य को मार डाला।

Rajiv Gandhi Assassination Case: इस हत्याकांड में 41 आरोपी बनाए गए थे दोषी

इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे। बाकी 26 पकड़े गए थे। इसमें श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे। आरोपियों पर टाडा कानून के तहत कार्रवाई की गई। 7 साल तक चली कानूनी कार्रवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने हजार पन्नों का फैसला सुनाया। इसमें सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई।

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