अशोक गहलोत और शशि थरूर लड़ सकते हैं Congress अध्यक्ष पद का चुनाव, जानिए कांग्रेस और BJP में कैसे चुना जाता है अध्यक्ष

सोमवार 19 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर शशि थरूर ने Congress अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की तो वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उन्हें चुनौती देने का मन बना लिया है.

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अशोक गहलोत और शशि थरूर लड़ सकते हैं 17 अक्टूबर को होने वाला Congress अध्यक्ष पद के लिए चुनाव, जानिए कांग्रेस और भाजपा में कैसे चुना जाता है अध्यक्ष - APN News
Congress President: अध्यक्ष पद के लिए गहलोत और थरूर ने दिया चुनाव लड़ने का संकेत, जानें क्या है पूरा मामला...

Congress पार्टी द्वारा निकाली जा रही 3,500 किलोमीटर लंबी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बीच दिल्ली के सियासी गलियारों में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सात साल बाद होने जा रहे चुनाव को लेकर भी सरगर्मियां तेज हो गई है. अगर चुनाव होते हैं तो 17 अक्टूबर को ओर नहीं होते हैं तो 1 अक्टूबर को दो दशक बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष मिल सकता है.

कांग्रेस की कई प्रदेश इकाइयां लगातार राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के पक्ष में प्रस्ताव पास कर रही हैं, लेकिन राहुल अपना रूख नहीं बदल रहे हैं. राहुल पहले ही कह चुके हैं कि वह फिर से Congress पार्टी के अध्यक्ष नहीं बनना चाहते.

गांधी परिवार (सोनिया, राहुल प्रियंका) की चुनाव लड़ने की ना के बाद अध्यक्ष पद को लेकर Congress के दो दिग्गज नेता राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व केंद्रीय मंत्री और केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर चुनाव लड़ सकते हैं.

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शशि थरूर ने की सोनिया गांधी से मुलाकात

सोमवार 19 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर शशि थरूर ने Congress अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की तो वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उन्हें चुनौती देने का मन बना लिया है. थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. इस दौरान सोनिया गांधी ने शशि थरूर से कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में पूरी तरह तटस्थ रहेंगी. इसके बाद ही अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने और 26 सितंबर को अपना नामांकन दाखिल करने की चर्चा तेज हो गई.

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चुनाव के लिए अहम तारीखें

22 सिंतबर 2022 को चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी. 24 सितंबर से 30 सितंबर तक सुबह 11 बजे शाम 3 बजे तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे. सभी नामांकन पत्रों की जांच के बाद 1 अक्टूबर को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जाएगी. 8 अक्टूबर दोपहर 3 बजे तक नामांकन वापिस ले सकते हैं. अगर एक से अधिक उम्मीदवार रहते हैं तो फिर 17 अक्टूबर को मत ड़ाले जाएंगे, वहीं 19 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी.

कांग्रेस का संगठन

कांग्रेस पार्टी का संगठन अलग अलग समितियों को मिला कर बना है. जिसमें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी), कांग्रेस वर्किंग समिति (सीडब्ल्यूसी), जिला एवं ब्लॉक कांग्रेस समिति आदि.

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में करीब 1,500 सदस्य हैं, जो कांग्रेस वर्किंग समिति (सीडब्ल्यूसी) के 24 सदस्यों को चुनते हैं. देश में कुल 30 प्रदेश कांग्रेस समिति हैं, 5 केंद्र शासित प्रदेशों में समितियां हैं जिनमें 9,000 से अधिक सदस्य हैं.

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कांग्रेस में अध्यक्ष का चुनाव

कांग्रेस के संविधान के अनुसार अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सबसे पहले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है. कांग्रेस वर्किंग कमिटी इस प्राधिकरण का गठन करती है, जिसमें तीन से पांच सदस्य होते हैं. इनमें से ही एक सदस्य को इसका चेयरमैन बनाया जाता है.

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2022 में हो रहे अध्यक्ष के चुनाव के लिए मधुसूदन मिस्त्री केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के चेयरमैन हैं.

चुनाव प्राधिकरण के सदस्य चुनाव होने तक संगठन में कोई पद प्राप्त नहीं करेंगे. इस अथॉरिटी का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है. यही चुनाव प्राधिकरण अलग अलग प्रदेशों में चुनाव प्राधिकरण का गठन करती है, जो आगे जिला और ब्लॉक में चुनाव प्राधिकरण बनाते हैं.

कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव कोई भी पार्टी सदस्य लड़ सकता है, जिसके पास प्रदेश कांग्रेस समिति के 10 सदस्यों का समर्थन हासिल हो, जिन्हें प्रस्तावक कहा जाता है.

किसी भी प्रदेश कांग्रेस समिति के 10 सदस्य मिल कर किसी कांग्रेस नेता का नाम अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित कर सकते हैं.

आवेदन दाखिल करने वाले सभी नामों को रिटर्निंग अधिकारी द्वारा प्रकाशित किया जाता है. इनमें से अगर कोई भी सात दिन के भीतर अपना नाम वापस लेना चाहे तो ले सकता है.  अगर नाम वापस लेने के बाद अध्यक्ष पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार रहता है तो उसे अध्यक्ष मान लिया जाता है.

इस बार अगर एक ही नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में रहता है तो 8 अक्टूबर को कांग्रेस के नया अध्यक्ष मिल जाएगा. लेकिन अगर दो या दो से अधिक लोग होते हैं तो फिर रिटर्निंग अधिकारी उन नामों को प्रदेश कांग्रेस समिति के पास भेजा जाएगा.

वोटिंग वाले दिन प्रदेश कांग्रेस समिति (Pradesh Congress Committee) के सभी सदस्य उसमें हिस्सा लेते हैं. प्रदेश कांग्रेस समिति के दफ्तर में वोटिंग पेपर और बैलेट बॉक्स से चुनाव होता है.

अगर अध्यक्ष पद की रेस में दो उम्मीदवार हैं – तो मत देने वालों को किसी एक का नाम लिख कर बैलेट बॉक्स में डालना होता है ओर मत देने वाले को वरीयता 1 और 2 नंबर के माध्यम से लिखना होता है. दो से कम वरीयता लिखने वालों के मतों को अमान्य करार दे दिया जाता है. हालांकि वोटिंग करने वाले दो से अधिक वरीयता दे सकते हैं.

प्रदेश कांग्रेस समिति में जमा किए गए बैलेट बॉक्स को गणना के लिए एआईसीसी कार्यालय भेजा जाता है.

एआईसीसी में बैलेट बॉक्स आने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर के मौजूदगी में वोटों की गिनती शुरू की जाती है. सबसे पहले पहले प्राथमिकता वाली वोटों की गिनती की जाती है. जिस उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक मत मिलते हैं, उसे अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है.

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कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव

कांग्रेस के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव बहुत कम मौकों पर आई है. लेकिन हालिया समय में साल 2000 में जितेंद्र प्रसाद, सोनिया गांधी के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े थे वहीं शरद पवार और राजेश पायलट ने 1997 में सीताराम केसरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था.

भाजपा में अध्यक्ष का चुनाव?

भाजपा के संविधान के अनुसार दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 15 वर्षों तक दल का सदस्य रहना अनिवार्य है. भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के ‘चुनाव’ निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और प्रदेश परिषदों के सदस्य शामिल होते हैं.

भाजपा के संविधान के अनुसार निर्वाचक मंडल में से कोई भी बीस सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव भी रख सकते हैं. संयुक्त प्रस्ताव कम से कम ऐसे पांच प्रदेशों से आना अनिवार्य है जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों.

वहीं जो लोग भाजपा को करीब से देखते हैं ओर दल के बारे में जानते हैं वो बताते हैं कि पर भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव आम राय से ही होता रहा है. इसमें राष्ट्रीय स्वयंससेवक संघ की अहम भूमिका होती है. भाजपा के नेता एक नाम तय करते हैं जिस पर राष्ट्रीय स्वयंससेवक संघ अपना अंतिम निर्णय लेता है.

कुछ कांग्रेसी उठा रहे हैं सवाल

अध्यक्ष पद की चुनावी प्रक्रिया को लेकर कुछ कांग्रेसी भी सवाल उठा रहे हैं. राज्यसभा में उपनेता रहे आनंद शर्मा से लेकर पंजाब से सांसद मनीष तिवारी ने भी इस बारे में सवाल उठाया था. ट्विटर पर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव करवाने की प्रक्रिया के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री को टैग करते हुए मनीष तिवारी ने पूछा है कि जब पार्टी की मतदाता सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ही नहीं है, तो यह चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र कैसे हो सकता है?

हालांकि मधुसूदन मिस्त्री का कहना है कि जो सदस्य वोट देने वालों की सूची चाहता है, वो उसे प्रदेश कांग्रेस कमिटी से ले सकता है. अध्यक्ष पद के लिए जो भी नामांकन दाखिल करेगा, उसे भी वो सूची उपलब्ध कराई जाएगी.

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