दिल्ली पुलिस ने ‘फैक्ट चेकर’ Mohammed Zubair की FIR में जोड़ीं 3 और धाराएं, 14 दिन की न्यायिक हिरासत का किया अनुरोध

सूत्रों के अनुसार इस केस में ED की एंट्री हो गई है। ED ने मोहम्मद जुबैर की FIR, रिमांड के कागजात और अकाउंट से संबंधित जानकारी मांगी है।

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Mohammed Zubair
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Mohammed Zubair: ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को द्वारका में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार कर लिया था। दिल्ली पुलिस को मिली जुबैर की चार दिन की रिमांड आज खत्म हो गई। आज शनिवार को उन्हें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया।

जिसके बाद पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में 3 और धाराएं जोड़ दी गई हैं। जिसमें विदेशों से चंदा लेने के आरोप में 35 FCRA और IPC 201, 120(B) के साथ सबूत मिटाने(फोन फॉर्मेट और ट्वीट डिलीट करने), साजिश रचने से जुड़ी नई धाराएं लगाई हैं। पुलिस ने कोर्ट में बताया कि मोहम्मद जुबैर ने साजिश और सबूतों को नष्ट कर दिया है। इतना ही नहीं आरोपी को विदेशों से चंदा भी मिला था। केस में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 35 को जोड़ा गया है।

Mohammed Zubair को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने की मां

वहीं इस दौरान पुलिस ने कोर्ट से जुबैर के रिमांड की मांग न करते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की है। दूसरी तरफ जुबैर के वकील ने पटियाला कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। वहीं सूत्रों के अनुसार इस केस में ED की एंट्री हो गई है। ED ने मोहम्मद जुबैर की FIR, रिमांड के कागजात और अकाउंट से संबंधित जानकारी मांगी है, ताकि एजेंसी इस मामले में आगे की जांच शुरू कर सके। सूत्रों का कहना है कि अकाउंट में पाकिस्तान और सऊदी से भी पैसे आए हैं। जुबैर के बैंक अकाउंट में पैसे यूपीआई, ई-वॉलेट, कार्ड व इंटरनेट बैंकिंग के जरिए आए हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि जुबेर ने चालाकी दिखाई है, उसे जब पूछताछ के लिए बुलाया गया था तब उस दौरान वह दूसरा सिम इस्तेमाल कर रहा था। नोटिस मिलने पर उसने उस सिम को निकाल कर नए मोबाइल में डाल दिया था। इससे पता चलता हैं कि वह कितना चतुर है। पुलिस ने कहा अभी इस मामले में जांच चल रही है। इस मामले में FCRA की धारा 35 भी जोड़ी गई है क्योकि उसने विदेश से धन लेने में नियम का उल्लंघन किया है। जब CDR का विश्लेषण किया गया तब उसमें पाया गया है कि पाकिस्तान, सीरिया आदि से रेजर गेटवे के माध्यम से फंड लिया गया है। इसमें आगे की जांच होनी जरूरी है। अगर जरूरत पड़ी तो हम जुबेर की दोबारा कस्टडी भी ले सकती है जिसके लिए कोर्ट से अनुमति ली जाएगी।

सुनवाई के दौरान जुबेर के वकील ने क्या कहा?

जुबेर की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मोबाइल और हार्ड डिस्क जप्त किया है लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। दिल्ली पुलिस केवल इस मामले को लंबा खींचना चाहती है। जुबेर के वकील वृंदा ग्रोवर ने दिल्ली पुलिस का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस कि यह सारी कहानी मनगढ़ंत है। मामला 2018 का है।

एक पुराने ट्वीट के मामले को लेकर दिल्ली पुलिस कहीं और जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना अपराध है? क्या मेरे फोन को रिफॉर्मेट करना अपराध है? या फिर चालाक होना गुनाह है। उन्होंने जुबेर की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाते हुए कहा दिल्ली पुलिस ने जिस तरह जुबेर को गिरफ्तार किया है। उससे किसी भी अपराधी को गिरफ्तार करने के कोर्ट के द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। यह कोर्ट के दिशा निर्देशों का मजाक है। दिल्ली पुलिस ने जुबेर को गिरफ्तार करके न्यायपालिका के नियमो का भी मजाक उड़ाया है।

Mohammed Zubair Arrest: पत्रकार मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार
Mohammed Zubair Arrest

ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस सरकारी संसाधन का इस्तेमाल कर बैंगलोर में एक लैपटॉप लेने जाती है। जिसके लिए चार अधिकारी साइबर सेल के होते हैं जबकि इनमें से एक भी टेक्निकल स्टाफ नहीं होता हैं। कोर्ट इस मामले की गंभीरता समझ सकती है यह कितना गंभीर केस है? ग्रोवर ने डाटा संरक्षण की मांग करते हुए कहा कि डाटा को संरक्षित किया जाना जरूरी है। कोर्ट को इसपर संज्ञान में लेना चाहिए क्योकि आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। ग्रोवर ने कहा CrPC की धारा 468 संज्ञान लेने पर रोक लगाता है। उनका कहना है कि किसी भी मामले में जांच का उद्देश्य किसी को परेशान या फिर उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना नहीं होना चाहिए। आज मीडिया को इस मामले से जुड़े कुछ अपडेट दिए गए और इस तरीके पर रोक लगाने की जरूरत है।

Mohammad Zubair
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दिल्ली पुलिस ने कहा- जुबेर ने चालाकी दिखाई है

वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि जुबेर ने चालाकी दिखाई है, उसे जब पूछताछ के लिए बुलाया गया था तब उस दौरान वह दूसरा सिम इस्तेमाल कर रहा था। नोटिस मिलने पर उसने उस सिम को निकाल कर नए मोबाइल में डाल दिया था। इससे पता चलता हैं कि वह कितना चतुर है। पुलिस ने कहा अभी इस मामले में जांच चल रही है। इस मामले में FCRA की धारा 35 भी जोड़ी गई है क्योकि उसने विदेश से धन लेने में नियम का उल्लंघन किया है। जब CDR का विश्लेषण किया गया तब उसमें पाया गया है कि पाकिस्तान, सीरिया आदि से रेजर गेटवे के माध्यम से फंड लिया गया है। इसमें आगे की जांच होनी जरूरी है। अगर जरूरत पड़ी तो हम जुबेर की दोबारा कस्टडी भी ले सकती है जिसके लिए कोर्ट से अनुमति ली जाएगी।

क्या है मामला?

ऑल्ट न्यूज एक डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म है। मोहम्मद जुबैर ऑल्ट न्यूज प्लेटफॉर्म के सह-संस्थापक हैं। ऑल्ट न्यूज पर कई अन्य वेबसाइटों पर प्रकाशित होने वाली खबरों की फैक्ट चेकिंग की जाती है। इस प्लेटफॉर्म ने कई बड़े खुलासे किए हैं। जुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने अपने एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

Mohammed Zubair
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पुलिस के मुताबिक, उन्हें जुबैर के खिलाफ 27 जून को ट्विटर के जरिए एक शिकायत मिली थी। जिसमें जुबैर के एक ट्वीट का जिक्र किया गया था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि एक फोटो (ट्वीट में) दिख रहा है जहां होटल के साइनबोर्ड ‘हनीमून होटल’ को बदलकर ‘हनुमान होटल’ कर दिया गया है। हनुमान भक्त @balajikijaiin ने ट्वीट किया, “हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ना हिंदुओं का सीधा अपमान है क्योंकि वह ब्रह्मचारी हैं। कृपया इस आदमी के खिलाफ कार्रवाई करें।”

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