कोरोना काल में डॉक्टरों को योद्धा का दर्जा दिया गया है। भगवान के बाद इंसान सबसे अधिक भरोसा अगर किसी पर करता है तो वह डॉक्टर ही होता है। लेकिन महाराष्ट्र के सांगली जिले से ऐसी खबर सामने आई है जिसे सुनने के बाद लोगों का भरोसा इंसानियत से उठ जाएगा। यहां पर महिला की मौत के बाद भी 2 दिन तक अस्पताल वाले बिल बनाते रहे।

महाराष्ट्र के सांगली में रहने वाली एक 60 वर्षीय महिला को फरवरी में इस्लामपुर के आधार हेल्थकेयर अस्पताल में भर्ती किया गया था। बीमारी से लड़ते हुए महिला की मौत 8 मार्च को हो गई थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को इस बाबत कोई खबर नहीं मुहैया कराई और दो दिन तक लाश का बिल बनाते रहे।

अस्पताल का डॉक्टर योगेश वाथरकर दो दिन तक इलाज का बहाना करता रहा और मरी हुई महिला का बिला बनाता रहा। इस खबर के बारे में जब परिजनों को पता लगा तो उन्होंने पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई है।

धोखाधड़ी का पता तब चला जब दस दिन बाद नगर निगम द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र में उल्लेख किया गया कि उसकी मृत्यु 8 मार्च को हुई थी। पुलिस अधिकारी ने कहा है कि, ‘महिला के बेटे ने डॉक्टर से पूछताछ की, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। परिजन कानून से इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं।

इस मुद्दे पर पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने मामला सरकारी अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को भेजा और उनकी जांच के दौरान विसंगतियां सामने आईं। यह भी पता चला कि अस्पताल ने वास्तविक इलाज के लिए भी परिवार से अधिक शुल्क लिया जा रहा था। अधिकारी ने बताया की, ‘हमने डॉ वाथरकर को आईपीसी की धारा 406 (विश्वास भंग), 420 (धोखाधड़ी) और 465 (जालसाजी) के तहत गिरफ्तार कर लिया है।

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