जानिए UPI भुगतान प्रणाली के बारे में, जिसके तहत होने वाले लेनदेन पर शुल्क लगाने को लेकर हुआ था खासा विवाद

हाल ही में एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface- UPI) भुगतान प्रणाली पर शुल्क लगाने की खबरों का वित्त मंत्रालय द्वारा खंडन किया गया है.

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जानिए UPI भुगतान प्रणाली के बारे में, जिसके तहत होने वाले लेनदेन पर शुल्क लगाने को लेकर हुआ था खासा विवाद - APN News

हाल ही में एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface- UPI) भुगतान प्रणाली पर शुल्क लगाने की खबरों का वित्त मंत्रालय द्वारा खंडन किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा 1 जनवरी 2020 से यूपीआई लेनदेन के लिए लगने वाले शुल्क को शून्य कर दिया गया था. इसका अर्थ ये हुआ कि यूपीआई में शुल्क उपयोगकर्ताओं और व्यापारियों के लिए समान रूप से शून्य हैं.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि “यूपीआई एक डिजिटल सार्वजनिक साधन है, जिससे लोगों को काफी सुविधा होती है और अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ती है. सरकार द्वारा यूपीआई सेवाओं के ऊपर कोई शुल्क लगाने पर विचार नहीं कर रही है. सेवा प्रदाताओं की लागत को लेकर चिंता है, जिसे पूरा करने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा.“

Finance
वित्त मंत्रालय

रिजर्व बैंक का चर्चा पत्र

17 अगस्त 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एक चर्चा पत्र (Discussion Paper) (भुगतान प्रणालियों में प्रभार) जारी करते हुए यूपीआई से भुगतान पर चार्ज वसूलने के लिए लोगों से सुझाव मांगा है. हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस दावों पर विराम लगा दिया है.

रिजर्व बैंक द्वारा जारी किये गये इस चर्चा पत्र में “भुगतान प्रणाली (तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली, तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) प्रणाली और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) और विभिन्न भुगतान साधन (डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड भुगतान लिखतें (पीपीआई), आदि में प्रभार से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है. प्राप्त फीडबैक का उपयोग नीतियों और मध्यक्षेप कार्यनीतियों को निर्देशित करने के लिए किया जाएगा.”

RBI

बेशक एकीकृत भुगतान इंटरफेस डिजिटल माध्यम से भुगतान के परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण नवाचार है, लेकिन कई संस्थान और व्यवसाय इस भुगतान प्रणाली की विश्वसनीयता और सुरक्षा मानकों को लेकर संशय जताते रहते हैं.

अभी यूपीआई का इस्तेमाल भारत के बाहर नेपाल, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और भूटान में होता है.

यूपीआई को यूरोपीय बाजार में लॉन्च करने की भी योजना बनाई जा रही है.

क्या है यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)

वर्ष 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payment Corporation of India- NPCI) ने 21 सदस्य बैंकों के साथ यूपीआई को शुरू किया गया था.

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस हरेक समय काम करने वाली एकतत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service – IMPS) है.

UPI

यूपीआई कैशलेस भुगतान को तेजी के साथ ओर आसान बनाने के लिये धन हस्तांतरण सेवा का एक उन्नत संस्करण है.

यूपीआई प्रणाली कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान की शक्ति प्रदान करती है.

यूपीआई,  नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (National Automated Clearing House), तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (Aadhar enabled Payment System), भारत बिल भुगतान प्रणाली (Bharat Bill Payment Service), RuPay सहित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payment Corporation of India) द्वारा संचालित प्रणालियों में सबसे बड़ा है.

मौजूदा समय के शीर्ष यूपीआई  ऐप्स में भीम ऐप, गूगल पे, फोन पे, पेटीएम, व्हाट्सएप पे और अमेजन पे शामिल हैं.

यूपीआई की उपलब्धियां

वर्ष 2020 में आई कोविड-19 महामारी के बाद यूपीआई  के जरिये होने वाले डिजिटल लेन-देन में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई और कई देशों ने इस भारतीय तकनीक में रुचि दिखाई ताकि वे भारतीय मॉडल का उपयोग कर सकें.

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई का उपयोग करके किये गए लेन-देन का मूल्य अक्टूबर, 2021 में पहली बार एक महीने में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया.

2016 में हुई शुरुआत के बाद जुलाई 2022 में भारत में यूपीआई ट्रांजैक्शन 6 बिलियन (600 करोड़ बार लेन-देन) के आंकड़े को पार कर गया.

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के हिसाब से पिछले 6 साल में यूपीआई के माध्यम से लेनदेन में 25.2 लाख गुना की तेजी दर्ज की गई है. जुलाई, 2016 में UPI के जरिए 38 लाख रुपए का लेनदेन हुआ था, जो मार्च, 2022 में बढ़कर 9,60,581.66 करोड़ रुपए पहुंच गया. अक्टूबर, 2016 में यह आंकड़ा 48.57 करोड़ रुपए था.

रिपोर्टस के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत का डिजिटल भुगतान उद्योग 27 फीसदी वार्षिक चक्रवृद्धि विकास दर (Compounded Annual Growth Rate- CAGR) के साथ 7,092 ट्रिलियन रुपये होने की उमीद है. मर्चेंट भुगतान के मजबूत उपयोग, प्रभावी सरकारी नीतियांं, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के साथ-साथ छोटे और मध्यम उद्योगों की संख्याओं में वृद्धि और स्मार्टफोन के लागातर बढ़ रहे उपयोग के कारण यह वृद्धि होने की संभावना है.

यूपीआई के सामने चुनौतियां

कोविड-19 महामारी के दौरान साइबर अपराधों में भी तेजी आई है, इससे बैंकिग क्षेत्र भी अछूता नहीं है. तेजी के साथ डिजिटल हो रही दुनिया में वैश्विक बैंकिंग और वित्तीय सेवा उद्योग में भी साइबर अपराध का खतरा लगातार बढ़ रहा है.

बढ़ते ऑनलाइन अपराधों के बीच धोखाधड़ी संबंधी दावे, शुल्क वापसी, नकली खरीदार खाते, पदोन्नति का दुरुपयोग, खाता अधिग्रहण, पहचान की चोरी और कार्ड विवरण की चोरी आदि भी बड़ी चुनौतियों के रूप में उभरे हैं.

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम

भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन हेतु भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) एक Umbrella Organisation है, जिसे ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ और ‘भारतीय बैंक संघ’ (Indian Banks’ Association) द्वारा ‘भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007’ के तहत शुरू किया गया था.

NPCI

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के प्रावधानों के तहत बनाई गई एक ‘गैर-लाभकारी’ कंपनी है, जिसका उद्देश्य भारत में संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली (Banking System) को भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक (Physical and Electronic) भुगतान हेतु बुनियादी ढांचा प्रदान करना है.

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