कुछ दिनों पहले जहां सलमान खुर्शीद ने तीन तलाक़ को पाप बताया था वहीं आज सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने इसे लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ मामला बताया। आपको बता दें कि कपिल सिब्बल एआईएमपीएलबी की ओर से केस लड़ रहे हैं उन्होंने सुनवाई के दौरान तीन तलाक़ का पक्ष लेते हुए कहा कितीन तलाक़ 1400 साल से चल रहा है ,अतः ये लोगों के आस्था का मामला है तो ये गैर इस्लामिक कैसे हो सकता है?” सिब्बल ने इसकी वकालत करते हुए कहा कि पर्सनल लॉ कुरान और हदीस से आया है और जैसे राम हमारे लिए आस्था का प्रतीक हैं वैसे ही कुरान और हदीस है उन्होंने अयोध्या का जिक्र करते हुए राम और अयोध्या में उनकी पैदाइश में जहां विश्वास जताया  वहीं  यह सवाल भी किया कि जिस प्रकार हम राम की आस्था पर सवाल नहीं कर सकते तो इसी तरह तीन तलाक़ पर सवाल कैसे उठ सकता हैसंवैधानिक नैतिकता और समानता का सिद्धांत तीन तलाक़ पर लागू होने की बात कहते हुए सिब्बल ने कोर्ट से पूछा किक्या कोर्ट कुरान में लिखे लाखों शब्दों की व्याख्या कर सकता है

दरअसल केंद्र सरकार ने सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अगर ‘तीन तलाक’ समेत तलाक के सभी रूपों को खत्म कर दिया जाता है, तो सरकार मुस्लिम समुदाय में निकाह और तलाक से जुड़ा नया कानून लाएगी।सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने हिन्दुओं के तमाम पर्सनल लॉ की तुलना मुस्लिम पर्सनल लॉ से की।  सभी धर्मों को पर्सनल लॉ को संविधान द्वारा सुरक्षित बताते हुए उन्होंने दहेज़ कानून का उदहारण दिया। सिब्बल ने कहा कि हिंदुओं में दहेज के खिलाफ दहेज उन्मूलन एक्ट है , पर प्रथा के तौर पर आज भी लोगों के द्वारा दहेज लिया जाता है   इस तरह हिंदुओं में इस प्रथा को सरंक्षण दिया गया है तो वहीं मुस्लिम के मामले में इसे अंसवैधानिक कैसे करार दिया जा सकता है।

तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई का आज चौथा दिन है। जिस पीठ के सामने यह सुनवाई हो रही है उसमें सिख, ईसाई, पारसी, हिंदू और मुस्लिम समेत विभिन्न धार्मिक समुदायों के जज शामिल हैं।

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