चुनाव आयोग ने 2019 आम चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित पांच राज्यों के चुनाव के दौरान ईवीएम के ट्रांसपोर्टेशन मैनेजमेंट पर सवाल उठने के बाद चुनाव आयोग ने इसकी ट्रैकिंग योजना पर काम शुरू किया है। योजना अमल में आई तो राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और चुनाव आयोग किसी भी मशीन की लोकेशन अपनी स्क्रीन पर देख सकेंगे। आयोग ने ट्रैकिंग सिस्टम सुझाने का जिम्मा अपने अंदरूनी तकनीकी ग्रुप को सौंपा है। यह तीन सप्ताह में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को रिपोर्ट सौंपेगा।

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सूत्रों के मुताबिक तकनीकी ग्रुप दो विकल्पों पर काम कर रहा है। पहला- क्या 2019 के चुनाव में इस्तेमाल होने वाली हर ईवीएम पर ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाए। दूसरा- इन्हें ले जाने वाले वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगे। वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाना आसान और कम खर्चीला होगा। आम चुनाव में इस्तेमाल होने वाली नई मशीनों में से करीब 90% आयोग को मिल चुकी हैं। ऐसे में मशीनों पर ट्रैकिंग प्रणाली लगवाना व्यावहारिक नहीं है।

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तकनीकी ग्रुप की सिफारिश मिलते ही आयोग अगले एक माह में जरूरी निर्देश जारी करेगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता के होटल से ईवीएम मिलने, रिजर्व ईवीएम वोटिंग के तीन दिन बाद वापस किए जाने, एक महिला अधिकारी द्वारा मशीन लेकर गायब होने की घटनाएं सामने आई थीं।

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