Delhi Air Pollution: 10 Points में समझें आज अदालत में क्या हुआ?

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दिल्ली में प्रदूषण मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। मुख्य न्यायधीश जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत, और जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ की बेंच ने सभी पक्षों को सुना। कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ उसे आपको 10 पॉइंट्स में समझाते हैं:

  1. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैंने कुछ निर्धारित समय के लिए कहा था और हलफनामे में जानकारी दी थी। इस पर मेरे ऊपर आरोप लगाए गए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपने कहा था पराली को लेकर प्रदूषण 10% और 4% हलफनामे में था। वहीं CJI ने कहा आप यह भूल जाइए। सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों के लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है। केंद्र की तरफ से SG तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पराली को लेकर 4 प्रतिशत प्रदूषण होता है। SG ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन समिति की बैठक की जानकारी देते हुए बताया की बैठक के दौरान सचिव पावर और डीओपीटी के साथ हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के मुख्य सचिव बैठक में उपस्थित थे।
  1. याचिकाकर्ता आदित्य दुबे के वकील विकास सिंह ने कहा कि मुझे किसी राजनीति से लेना देना नहीं है। दिल्ली साफ होनी चाहिए। CJI ने कहा कि आप लोग ऐसा कर के मुद्दे को भटका रहे हैं। SG ने कहा कि दिल्ली के 300 किलोमीटर में 11 थर्मल प्लांटों में से केवल 5 काम कर रहे हैं। बाकी सभी को बंद कर दिया गया है और यदि कोई आवश्यकता है तो इस दायरे से बाहर के संयंत्रों को भी बंद किया जा सकता है। 50% दिल्ली-NCR के कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कर दिया गया है। केन्द्र सरकार ने कहा कि ऑफिस को हम बंद नहीं कर सकते क्योंकि काम पर असर पड़ेगा। इसके लिए कार पूलिंग के जरिए सेंट्रल के कर्मचारियों को लाया जाएगा। CJI ने फिर कहा कि वायु प्रदुषण को कम करने पर बात करें कारण गिनाए जाने से मामला हल नहीं होगा। CJI ने कहा कि हम यहां बहस करने नहीं आए हैं, हल निकालना चाहते हैं कि दिल्ली के प्रदूषण को कैसे कम किया जाए, ताकि लोग ठीक रहें। CJI ने कहा कि हम किसानों को दंडित या परेशान नहीं करना नहीं चाहते हैं। राज्य सरकार इसका ख्याल रखें। CJI ने पूछा कि पटाखों पर रोक के बाद भी पटाखों को जलाए जाने से क्या रोका जा सका?
  1. दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गयी है। एंटी डस्ट कैंपेन अक्टूबर से ही चलाया जा रहा है। CJI ने कहा कि आपके पिछले हलफनामे में यही था। सिंघवी ने कहा कि केंद्र ने हलफनामे में आयोग के जो निर्णय बताएं हैं। उनमें सर्वाधिक भूमिका दिल्ली को निभानी है। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा जब पराली जलाने की बात होती है सब जानते हैं अक्टूबर और नवंबर में बहुत ज़्यादा जलाई जाती है। केंद्र पूरे साल की बात कर रहा है। हम इन 2 महीनों को लेकर ज़्यादा चिंतित हैं। पराली जलाने को कम कर के आंकने का नुकसान है।
  1. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आखिर किसान को पराली जलानी ही क्यों पड़ती है? पांच सितारा होटल में एसी में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है। सरकार किसानों को मशीन मुहैया कराने की क्षमता रखती हैं। CJI ने कहा कानपुर IIT ने जो रिपोर्ट दी है उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि उसमें प्रदूषण कि सूची में फायर क्रैकर्स 15 वें स्थान पर हैं। वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आप ये बताएं कि प्रदुषण को कम करने के लिए अभी तक क्या कदम उठाए हैं और आगे क्या करने वाले हैं? CJI ने दिल्ली सरकार से पूछा कि जो केंद्र ने हलफनामा दिया है उसे पूरा करने से प्रदुषण कम हो जाएगा? क्या आप यह मान रहे हैं कि आयोग कि बैठक में जो निर्णय लिए गए वो प्रदुषण को कम करने के लिए काफी हैं?
  2. सिंघवी ने कहा नहीं बिल्कुल नहीं आप जो भी कहेंगे। वो भी हम करेंगे। CJI ने कहा कि अब बहुत हो गया है आप लोग इसे लेकर कब संजीदा होंगे। वहीं दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया है कि कंस्ट्रक्शन साइट पर दिन रात नज़र रखी जा रही है। एंटी डस्ट कैम्पेन चलाए गए हैं उसके लिए 30 टीम हैं जो इस मामले को देख रही हैं। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा बताए गए सुझावों में से 90 प्रतिशत को दिल्ली सरकार पहले ही लागू कर चुकी है।प
  3. पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि हम दिल्ली NCR में नहीं आते। CJI ने पूछा इसका मतलब आप पर तो कुछ भी लागू नहीं होता? पंजाब सरकार ने कहा नहीं। फिर भी हमने अपनी तरफ से काफी उपाय किए हैं। कोर्ट ने पंजाब सरकार के वकील से पूछा कि क्या आपने जलती पराली की आग बुझाई तो बची हुई पराली का क्या हुआ? पंजाब के वकील ने कहा कि बची हुआ पराली अभी खेतों में ही पड़ी है। कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने किसानों को भगवान की दया पर ही छोड़ दिया है? जस्टिस चंद्रचूड़ ने पंजाब सरकार से पूछा कि पराली को डीकम्पोज़ करने की कितनी मशीन की खरीद की गई। पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि 76 हज़ार मशीन खरीदी गई हैं। कोर्ट ने पूछा कि मशीनों का खर्चा कौन व्यय कर रहा है ? पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि 80 प्रतिशत केंद्र और 20 प्रतिशत ग्राम पंचायत उठाती हैं। साथ ही पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से फण्ड देने की भी मांग की है।
  4. हरियाणा सरकार ने कहा कि DM को कहा गया है कि किसानों से मिल पराली न जलाने का आग्रह करें।अन्य सभी कदम भी उठाए जा रहे हैं जिसमे वर्क फ्रॉम होम, कंस्ट्रक्शन, वाहनों से जुड़े मामले भी शामिल हैं। CJI ने हरियाणा सरकार से पूछा कि आप बताएं कि आपने क्या किया? आपने कितने जिलों में वर्क फ्रॉम होम लागू किया है?हरियाणा ने कहा कि हमने चार जिलों में वर्क फ्रॉम होम लागू किया है। हमने सभी सुझावों में से 90% सुझावों पर अमल कर लिया है।
  1. याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कोर्ट को बताया कि यदि थर्मल प्लांट AQI मानदंडों का पालन कर रहे हैं तो वो भी चल सकते हैं लेकिन समस्या यह है कि इन मानदंडों का पालन ही नहीं किया जा रहा है। निर्माण कार्य करते समय स्प्रिंकलर का प्रयोग करना है, लेकिन दिल्ली में ऐसा नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि पिछले दस दिनों से पटाखे क्यों जलाए जा रहे हैं, उसका क्या है? सिंह ने कहा कि जस्टिस लोकुर की समिति को भी इन चीजों की जानकारी थी। अक्टूबर के अंत में हर साल ये समस्या होती है जो कुछ समय बाद खत्म हो जाती है और फिर सरकारे़ भूल जाती हैं। अगर अगले साल तक का इंतजार किया जाता रहा तो फिर कुछ भी नहीं किया जा सकेगा।
  1. याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि इस समय ही कुछ कदम उठाए जाएं न कि उन्हें अगले साल अक्टूबर के लिए छोड़ दिया जाए। इसके लिए जरूरी है कि गाड़ियों-उद्योगों के लिए जो नियम बने हैं उनमें से किन बातों का पालन हो रहा है यह देखना होगा, लेकिन पराली जलाने की समस्या की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इसके अलावा विकास सिंह ने कहा कि पंजाब ने खरीफ और रबी की फसल का अंतर कम कर दिया है। जिसकी वजह से पराली से निपटने के परंपरागत उपाय समय लगने की वजह से खत्म हो गए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली गैस चैंबर बन गई है। मुझे काम करने के लिए स्टेरॉयड लेने पड़ रहे हैं। धूल की तुलना में धुआं ज्यादा खतरनाक है। इसमें पराली का योगदान 50% है।
  1. जस्टिस सूर्यकांत ने सुझाव दिया कि सरकारी कर्मचारी कार इस्तेमाल करने की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। जिससे 10-15 कार की जगह एक बस में ही काम हो जाएगा। बुधवार 24 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि हम कोई आदेश नहीं दे रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप काम में लापरवाही बरतें।

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