मनसुख हीरेन हत्या मामले की जांच एनआईए के बाद अब एटीएस कर रही है। इस केस में महाराष्ट्र एटीएस ने अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें एंटीलिया केस का मुख्य आरोपी सचिन वाजे और एक सट्टेबाज को गिरफ्तरा किया गया है। जांच के दौरान एक अधिकारी ने नाम न  छापने की शर्त पर बताया कि, निलंबित अधिकारी सचिन वाजे ने अपराध में मुख्य भूमिका निभाई थी और वह मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं।

वहीं एटीएस के अनुसार, वाजे ने ही कथित रूप से मनसुख के मारने को कहा था लेकिन हत्या के वक्त वह वहां खुद मौजूद नहीं थे। एटीएस ने वझे और अन्य की मनसुख से बातचीत की कॉल रेकॉर्ड के आधार पर संदिग्धों को पकड़ा है।

एटीएस अधिकारी ने बताया कि शनिवार देर रात गिरफ्तार दोनों आरोपियों की पहचान पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गौर के रूप में हुई है। अधिकारी ने दिन में सट्टेबाज का नाम नरेश धरे बताया था लेकिन बाद में उसका नाम नरेश गौर बताया गया। उन्होंने बताया कि शिंदे 2006 के लाखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले का दोषी है और वह पिछले ही साल फर्लों पर जेल से रिहा हुआ था। उसके बाद से ही शिंदे वाजे के संपर्क में था।

वाजे के टेरर केस गढ़ने के पीछे दो फॉर्मूला भी सामने आया हैं। एक अधिकारी ने बताया, ‘वाजे खुद केस को सॉल्व करके सुपर कॉप बनना चाहते हैं या फिर वह और कुछ दूसरे पुलिसकर्मी (जिसमें एक सीनियर भी शामिल हैं), एक प्राइवेट सिक्यॉरिटी फर्म में शामिल होना चाहते थे जिसे एक कॉर्पोरेट ने लॉन्च किया है।’

शुरुआती जांच में सामने आया है कि वाजे ने मनसुख की हत्या की साजिश इसलिए रची क्योंकि उन्हें डर था कि मनसुख उनके प्लान के बारे में सब उगल देंगे। मनसुख को मारने का प्लान 2 मार्च को बनाया गया। वाजे ने दोनों साथियों के साथ मिलकर क्रॉफर्ड मार्केट स्थित अपने हेडक्वॉर्टर में दो घंटे तक मीटिंग भी की थी।

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