सुरों के जादूगर को लोग क्‍यों कहते थे पंचम दा? ……Monica O My Darling से लेकर ….एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा तक का सफर, जानिए R.D.Burman से जुड़ी अनसुनी बातें

R.D.Burman: 27 जून 1939 को कोलकाता में जन्‍मे आरडी.बर्मन गुजरे जमाने के मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन और मीरा की इकलौती संतान थे। अपनी अद्वितीय सांगीतिक प्रतिभा के कारण इन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में एक माना जाता है।

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R.D.Burman death anniversary
RD Burman

R.D.Burman: ऐसी धुन जिसके बजते ही हर कोई थिरकने पर मजबूर हो, ऐसा म्‍यूजिक जिसे सुनकर युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक जोश छा जाए।एक ऐसे म्‍यूजिक कंपोजर जिन्‍होंने महज धुनें ही नहीं बनाई बल्कि इंडियन म्‍यूजिक के साथ कुछ ऐसा एक्‍सपेरिमेंट किया कि आज भी हर जुबां पर उनका नाम छाया रहता है।जी हां ऐसे ही कला के पारखी, अपने जमाने से आगे का संगीत रचने वाले महान संगीतकार आरडी.बर्मन जिन्‍हें सभी पंचम दा के नाम से भी जानते हैं की पुण्‍यतिथि है।4 जनवरी 1994 को मुंबई में उन्‍होंने अपनी अंतिम सांसें लीं।

अपनी उम्र के 55 बसंत भी नहीं देखने वाले पंचम ने अपनी छोटे से फिल्‍मी संगीत के सफर में बॉलीवुड को बहुत कुछ दिया।बॉलीवुड की फिल्मों को सुपरहिट बनाने में उनके संगीत का बड़ा योगदान था।उनकी कंपोजिंग का ही कमाल था जिसने तीसरी मंजिल, कटी पतंग, शोले, से लेकर 1947 एक लव स्‍टोरी जैसी फिल्मों को सुपरहिट बनाया।आइए जानते हैं संगीतकार आरडी.बर्मन की जिंदगी से जुड़ी अनसुनी कहानियां।

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R.D.Burman: जानिए कैसे पड़ा नाम पंचम?

R.D.Burman: मशहूर संगीतकार आरडी. बर्मन यानी राहुल देव बर्मन का नाम किसी से अछूता नहीं।27 जून 1939 को कोलकाता में जन्‍मे आरडी.बर्मन गुजरे जमाने के मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन और मीरा की इकलौती संतान थे। अपनी अद्वितीय सांगीतिक प्रतिभा के कारण इन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में एक माना जाता है।
राहुल देव बर्मन को पंचम नाम देने का श्रेय मशहूर और दिग्गज एक्टर अशोक कुमार को जाता है।

न जाने क्या बात थी कि जब भी आरडी बर्मन किसी धुन को गुनगुनाते तो ‘प’ शब्द का ही इस्तेमाल किया करते थे।एक दिन अशोक कुमार ने इस बात पर गौर करते हुए सोचा कि सरगम यानी सा रे गा मा पा में ‘प’ पांचवे नंबर पर आता है। बस फिर क्या था अशोक कुमार उन्हें पंचम नाम से ही पुकारने कहने लगे। धीरे- धीरे हर कोई उन्‍हें पंचम ही कहने लगा और वह इसी नाम से फेमस हो गए। जो उनसे बड़े थे वो ‘पंचम’ कहते और जो छोटे थे वो ‘पंचम दा’।

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R.D.Burman: म्‍यूजिक कंपोजिंग के साथ अपनी आवाज का जादू भी चलाया

मोनिका ओ माय डार्लिंग…… पिया तू अब तो आ जा…… इंडो वेस्‍टर्न म्‍यूजिक, हेलन के थिरकते कदम और पंचम दा की आवाज… 60 के दशक में आई कारवां फिल्म ने कमाल कर दिया। पंचम दा की सफलता का सफर यहीं नहीं रूका। इसके बाद शोले पर महबूबा…… महबूबा और गानों की फेहरिस्‍त लंबी होती गई। यही वजह थी 60 से लेकर 90 के दशक की शुरुआत तक पंचम दा की मदमस्‍त धुनों के लोग दीवाने हो गए।

एक अलमस्‍त, लापरवाह और जीनियस पंचम दा ने बॉलीवुड के संगीत को अपने प्रयोगों से एक नई दिशा दी। उनकी खासियत थी कि वह अपने जमाने से आगे का संगीत रचने वाले संगीतकार थे।पंचम दा ने अपनी संगीतबद्ध की 18 फिल्‍मों में आवाज भी दी। भूत बंगला और प्‍यार का मौसम में कैमियो भी किया।
बात अगर उनकी निजी जिंदगी की करें तो उनकी पहली शादी रीता पटेल से हुई (1966-1971)। हालांकि बाद में उन्‍होंने आशा भोंसले से 1980 में विवाह किया।इस शादी के लिए पंचम की मां तैयार नहीं थीं।

R.D.Burman: महज 9 साल की उम्र में बना डाली पहली धुन

R.D.Burman: जिस उम्र में बच्‍चे पढ़ाई करना सीख रहे होते हैं, उसी उम्र में आरडी.बर्मन यानी पंचम दा ने एक जबरदस्‍त कारनामा कर दिखाया। उनके पिता सचिन देव बर्मन ने बचपन से ही उन्‍हें संगीत की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी। महज 9 बरस की उम्र में पंचम दा ने पहली धुन बना दी। जिसके बोल थे ‘ऐ मेरी टोपी पलट के’। इस संगीत को उनके पिता ने फिल्‍म फंटूश में इस्‍तेमाल किया था।

पंचम दा ने बेशक संगीत अपने पिता से सीखा लेकिन उनकी शैली अपने पिता से बिलकुल अलग थी। उनके संगीत में हिंदुस्‍तानी संगीत के साथ साथ पाश्‍चात्‍य संगीत का तड़का भी लगता था। जो उसे लीक से हटकर बनाता था। जबकि दूसरी तरफ एसडी बर्मन सिर्फ शास्‍त्रीय संगीत के दिग्‍गज माने जाते थे।

R.D.Burman: पहना ब्रेक महमूद ने फिल्म ‘छोटे नवाब’ में दिया

संगीतकार के रूप में उन्‍हें पहला अवसर उनके दोस्‍त और उस समय के मशहूर हास्य अभिनेता महमूद ने फिल्म छोटे नवाब में दिया।जबकि उनकी पहली सफल फिल्‍म तीसरी मंजि़ल थी। नासिर हुसैन ने जब अपनी इस फिल्‍म के लिए पंचम दा को बतौर म्‍यूजिक डायरेक्‍टर साइन किया तो फिल्‍म के हीरो शम्‍मी कपूर को उनका यह निर्णय रास नहीं आया।. उन्‍हें लगा कि ये नया लड़का क्‍या संगीत देगा शम्‍मी कपूर खुद भी संगीत के अच्‍छे जानकार थे और उन्‍हें फिल्‍मी संगीत की अच्‍छी खासी समझ भी थी। नासिर बोले एक बार मिल तो लो उससे।शम्‍मी कपूर पंचम दा से मिले।

उनकी बनाई धुन सुनकर शम्‍मी कपूर खुशी से झूमकर बोले वाह क्‍या कमाल की धुन है।फिल्म रीलिज होते ही सुपरहिट रही।तीसरी मंजिल की सफलता में उसके गीतों का भी बड़ा योगदान था। आजा आजा मैं हूं प्‍यार तेरा, ओ मेरे सोना रे सोना रे और तुमने मुझे देखा होकर मेहरबां जैसे गीतों ने श्रोताओं को एक नए अनुभव से रूबरू कराया

R.D.Burman: पंचम, काका और आशा की तिकड़ी ने मचाई धूम

बॉलीवुड के पहले सुपर स्‍टार यानी राजेश खन्‍ना, जिन्‍हें सभी काका के नाम से भी जानते हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि पंचम, काका और आशा भोंसले की तिकड़ी ने बॉलीवुड में जमकर धूम मचाई। आरडी. बर्मन के संगीत निर्देशन में आशा भोंसले ने ‘चुरा लिया है जो दिल को..’, ‘तुम साथ हो जब अपने..’, ‘दम मारो दम..’, ‘दो लफ्जो की है दिल की..’, ‘कह दूं से करोड़ों लोगों के दिलों में अप जगह बनाई।

R.D.Burman: सामान देखकर ही धुन बनाने में माहिर थे पंचम दा

पंचम दा ने मशहूर गीतकार गुलजार के साथ अपने करियर के बेहतरीन गीत दिए।उनकी कला में ऐसा जादू था कि कई बार कंघी, कप तो कभी प्लेट्स से निकली आवाज को अपने गीतों में शामिल किया करते थे।इसका उदाहरण हम पड़ोसन, चुरा लिया है तुमने जो दिल तो, ओ मेरे दिल के चैन और रॉकी मूवी का क्‍या यही प्‍यार है में सुना जा सकता है।

R.D.Burman:जब अपनी कामयाबी खुद नहीं देख सके पंचम दा

80 का दशक आते-आते कुछ नाकामयाबी हाथ लगने के बाद आरडी. बर्मन को फिल्में नहीं मिल रहीं थीं। काफी लंबे समय बाद 90 के दशक की शुरुआत में उन्हें विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘1942 अ लव स्टोरी’ में संगीत देने का मौका मिला। फिल्म के सारे गाने सुपरहिट साबित हुए लेकिन अफसोस कि इसकी कामयाबी देखने के लिए खुद आरडी. बर्मन जिंदा नहीं थे। पंचम दा ने 4 जनवरी 1994 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।वह बेशक हम सबके बीच नहीं, लेकिन उनकी बनाई धुनें और मधुर धुनों पर बजते गीत हमेशा अमर रहेंगे।

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