UP Elections History: सोमवार को है यूपी विधानसभा चुनाव का आखिरी चरण, जानें उत्तर प्रदेश की राजनीति का पूरा इतिहास

सातवें चरण के चुनाव के 1 दिन पहले आपको बताते हैं यूपी के इतिहास की पूरी कहानी।

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Assembly Election Result 2022
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UP Elections History: 10 फरवरी से चल रहे उत्तर प्रदेश चुनाव का आखिरी चरण यानी 7वां चरण सोमवार को है। इस दौरान यूपी विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव प्रचार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा समेत देश के कई बड़े-बड़े नेता उत्तर प्रदेश पहुंचे। तो चलिए सातवें चरण के चुनाव के 1 दिन पहले आपको बताते हैं यूपी की राजनीति के इतिहास की पूरी कहानी।

शुरुआती 2 दशकों में कांग्रेस का एकतरफा राज

उत्तर प्रदेश का गठन होने के बाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत बने। 1951 में जब राज्य के पहले विधानसभा चुनाव हुए तो उसमें कांग्रेस पार्टी ने 388 सीटें पाईं और मुख्यमंत्री के तौर पर पंडित गोविंद बल्लभ पंत का कार्यकाल जारी रहा। हालांकि 1954 में डॉक्टर संपूर्णानंद ने गोविंद बल्लभ पंत की जगह ले ली और वो राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने। 1957 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की एक बार फिर जीत हुई और विजय के बाद पार्टी ने अपना मुख्यमंत्री संपूर्णानंद को ही बनाया।

UP Elections History
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1960 में यूपी कांग्रेस के अंदर कमलापति त्रिपाठी और चंद्र भानु गुप्ता के बीच तनातनी चल रही थी। जिसके कारण संपूर्णानंद को मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए कहा गया और उन्हें राज्यपाल के रूप में राजस्थान भेज दिया गया। जिसके बाद Chandra Bhanu Gupta को राज्य का तीसरा मुख्यमंत्री बनाया गया।

sucheta kripalani
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1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 249 सीटों के साथ पहले से खराब प्रदर्शन किया। हालांकि उनकी सरकार बन गई और मुख्यमंत्री के तौर पर गुप्ता ने अपना कार्यकाल जारी रखा। लेकिन 1963 में गुप्ता को गद्दी से हटा दिया गया और उनकी जगह Sucheta Kriplani को कुर्सी में बैठाया गया और जिसके बाद वो देश के किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी।

Chaudhary Charan Singh ने की थी कांग्रेस से बगावत

1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 199 सीटें जीती और बहुमत से कुछ सीटों से चूक गई। जबकि भारतीय जनसंघ को 98 सीटें मिली। हमारे देश के सबसे बड़े जाट नेता चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से बगावत कर दी और अपनी अलग पार्टी, भारतीय क्रांति दल बना ली। जिसके बाद समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया, राजनारायण और नानाजी देशमुख की भारतीय जनसंघ की मदद से चौधरी चरण सिंह अप्रैल 1967 में उत्तर प्रदेश के 5वें मुख्यमंत्री बने।

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Chaudhary Charan Singh जिस मोर्चे के प्रमुख बने थे उसका नाम था संयुक्त विधायक दल और इसमें सीपीआईएम जैसी वामपंथी और भारतीय जनसंघ जैसी दक्षिणपंथी पार्टी भी शामिल थी। अलग- अलग विचारधाराओं की पार्टियों के एक साथ आने से गठबंधन में बहुत सारी उलझनें सामने आईं और फरवरी 1968 में यह गठबंधन टूटने के कारण चरण सिंह ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद राज्य में 1 साल तक राष्ट्रपति शासन रहा।

1969 में यूपी में कांग्रेस की वापसी

Chandra Bhanu Gupta
Chandra Bhanu Gupta UP Elections History

1969 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर राज्य की सत्ता में वापसी की और राज्य के एक बार फिर मुख्यमंत्री बने चंद्र भानु गुप्ता। हालांकि पार्टी में 1 साल में ही बिखराव हो गया और जिसके बाद गुप्ता को एक बार फिर मुख्यमंत्री की पद से इस्तीफा देना पड़ा और चौधरी चरण सिंह की सत्ता में फिर से वापसी हो गई। बता दें कि इंदिरा गांधी की कांग्रेस (R) ने चौधरी को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने में मदद की थी।

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हालांकि 1 महीने के अंदर ही इस सरकार में बहुत सारी दिक्कतें सामने आने लगी और चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस के 14 मंत्रियों का इस्तीफा मांग लिया। बता दें कि इन मंत्रियों का नेतृत्व कर रहे थे वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी और उन्होंने मुख्यमंत्री की बात न मान कर इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। इसी के चलते एक बार फिर चरण सिंह को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा और राज्य में 17 दिन का राष्ट्रपति शासन लग गया।

Tribhuvan Narain Singh बनते हैं यूपी के 6वें मुख्यमंत्री

Tribhuvan Narain Singh
UP Elections History Tribhuvan Narain Singh

कुछ दिन के राष्ट्रपति शासन के बाद अक्टूबर 1970 में राज्‍य में कांग्रेस (O), जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी और भारतीय क्रांति दल द्वारा एक संयुक्त विकास दल का गठन किया गया और इसने कांग्रेस (ओ) के Tribhuvan Narain Singh को अपना नेता चुना और वो उत्तर प्रदेश के 6वें मुख्यमंत्री बने। हालांकि उनकी कुर्सी भी जल्द ही चली गई।

4 अप्रैल 1971 को कमलापति त्रिपाठी ने ली थी मुख्‍यमंत्री की शपथ

Kamlapati Tripathi image
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जिसके बाद कमलापति त्रिपाठी 4 अप्रैल 1971 को उत्तर प्रदेश के 7वें मुख्यमंत्री बनते हैं। 1973 के प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी विद्रोह के चलते 12 जून 1973 को उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। त्रिपाठी की कुर्सी जाने के बाद एक बार फिर राज्य में 148 दिनों का राष्ट्रपति शासन लग जाता है। नवंबर 1973 में हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के 8वें मुख्यमंत्री बने हालांकि आपातकाल के दौरान संजय गांधी के साथ मतभेद के चलते उनकी जगह एनडी तिवारी को राज्य का 9वां मुख्यमंत्री बना दिया गया।

आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार

1977 में देश में आपातकाल खत्म होने के बाद लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई थी और इसी के मद्देनजर कई पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी नाम की एक पार्टी बनाई थी। लोकसभा चुनाव के बाद देश की सत्ता में मोरारजी देसाई की सरकार काबिज हुई और उसने जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी उनको भंग कर दिया था। जिसके बाद जून 1977 में यूपी विधानसभा के चुनाव होते हैं और उसमें जनता पार्टी 425 में से बंपर 352 सीटें जीतती है और राम नरेश यादव राज्य के 10वें मुख्यमंत्री बनते हैं।

think-tank connected to BJP wants to probe of Indira Gandhi's this decision
Indira Gandhi

देवरिया में 1979 में पुलिस द्वारा बर्बरता की जाती है। जिसके कारण यादव को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है और फरवरी 1979 में बनारसी दास राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बनते हैं। हालांकि 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार देश में बनती है और सरकार आने के बाद वो उत्तर प्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर देती हैं। जिसके कारण उनकी कुर्सी चली जाती है।

UP Elections History: राज्य के 12वें मुख्यमंत्री V P Singh

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मई 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत होती है। जिसके बाद राज्य के 12वें मुख्यमंत्री V P Singh बनते हैं। वीपी सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार पर फर्जी पुलिस एनकाउंटर के आरोप लगते है। साथ ही बहुत सी दूसरी घटनाएं भी होती हैं। जिसमें 1981 का बहमई नरसंहार भी शामिल होता है। साथ ही 1982 में वीपी सिंह के भाई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस चंद्रशेखर प्रसाद सिंह की डकैत हत्या कर देते हैं और इसी कारण वीपी सिंह की कुर्सी चली जाती है। जिसके बाद राज्य के 13वें मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा बनते हैं। हालांकि 1984 में भी उनकी जगह एनडी तिवारी को बैठा दिया जाता है।

एनडी तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस लड़ती है 1984 का चुनाव

Former Uttarakhand Chief Minister ND Tiwari died and Death on birthday day
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1984 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी एनडी तिवारी के नेतृत्व में लड़ती है। जिसमें उसको शानदार जीत मिली थी। हालांकि 1985 में राजीव गांधी तिवारी को मुख्यमंत्री के पद से हटा देते हैं और वीर बहादुर सिंह को राज्य की कमान सौंपते हैं। हालांकि जून 1988 में एक बार फिर तिवारी की राज्य में वापसी हो जाती है।

UP Elections History: 1989 में मुलायम सिंह यादव बनते हैं यूपी के सीएम

mulayam can make new party if agreement will not done with akhilesh
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1989 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव एक मजबूत नेता के रूप में उभर कर आते हैं। जिसके चलते देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह के बदले Janata Dal उनको मुख्यमंत्री रूप में चुनती है और भारतीय जनता पार्टी की मदद से उनकी सरकार बनती है।

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अक्टूबर 1990 में जब रथ यात्रा के दौरान Lal Krishna Advani की गिरफ्तारी लालू यादव के नेतृत्व वाली बिहार सरकार करती है तो बीजेपी केंद्र के साथ-साथ यूपी सरकार से भी अपना समर्थन वापस ले लेती है। हालांकि कांग्रेस के समर्थन के चलते हैं मुलायम सिंह अपनी सरकार बचा लेते हैं। लेकिन कुछ दिन बाद कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद उनकी कुर्सी चली जाती है।

UP Elections History: मंडल के जवाब में कमंडल

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मंडल की राजनीति को काउंटर करने के लिए बीजेपी 1991 के चुनाव में ओबीसी लोथ समुदाय से आने वाले कल्याण सिंह को अपना मुख्यमंत्री का चेहरा बनाती है। जिससे पार्टी को यूपी विधानसभा में 425 से 221 सीटें मिलती है और कल्याण सिंह राज्य के 16वें मुख्यमंत्री बनते हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिरता है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश के साथ 3 और बीजेपी शासित सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है।

जब मिले मुलायम-कांशीराम

1993 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मिलकर चुनाव लड़ती हैं। मुलायम और कांशीराम के साथ आने से 422 विधानसभा सीटों में से सपा को 109 और बीएसपी को 67 सीटें मिलती हैं। इससे मुलायम दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनते हैं।

Mayawati,Bahujan Samaj Party
UP Elections History Mayawati

करीब 2 साल तक यह सरकार चलती है लेकिन मई 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती और मुलायम सिंह यादव एक दूसरे के कट्टर विरोधी बन जाते हैं और यह सरकार गिर जाती है। बता दें कि गेस्ट हाउस कांड में बीएसपी ने समाजवादी पार्टी पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगाया था। गेस्ट हाउस कांड के बाद भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी को समर्थन देती है और मायावती राज्य की पहली दलित मुख्यमंत्री बनती हैं।

UP Elections History: 6-6 महीने वाले फॉर्मूले से बीएसपी और बीजेपी आते हैं साथ

1996 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 174 सीटें मिलती हैं और वह कुछ सीटों से बहुमत से चूक जाती है। जिसके बाद राज्य में एक बार फिर राष्ट्रपति शासन लग जाता है। अप्रैल 1997 में बीएसपी और बीजेपी 6-6 महीने वाले मुख्यमंत्री के फॉर्मूले के साथ आते हैं। पहले 6 महीने के लिए मायावती राज्य की मुख्यमंत्री बनती हैं। 6 महीने के बाद बीजेपी की बारी आती है और कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठाया जाता है। लेकिन कुछ दिन बाद ही मायावती अपना समर्थन वापस ले लेती हैं। हालांकि बीजेपी ,बीएसपी और कांग्रेस के कुछ बागी विधायकों के समर्थन से अपनी सरकार बचा लेती है।

Allahabad HC
Allahabad HC

इस बीच 21 फरवरी 1998 को राज्यपाल रोमेश भंडारी भाजपा सरकार को बर्खास्त कर देते हैं और जगदंबिका पाल राज्य के नए मुख्यमंत्री बन जाते हैं। हालांकि इस फैसले को कल्याण सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देते हैं और 23 फरवरी को एक बार फिर वो CM बन जाते हैं।

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UP Elections History

1998 के आम चुनाव में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी 85 लोकसभा सीट में से 58 पर जीतती है। लेकिन 1999 में यह आंकड़ा सिर्फ 29 रह जाता है। कल्याण सिंह के खिलाफ हो रही गुटबाजी के बीच भारतीय जनता पार्टी राम प्रकाश गुप्ता को मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठाती है। बता दें कि इसी सरकार में जाटों को ओबीसी का दर्जा मिला था। बीजेपी में अपनी दावेदारी कमजोर होते देख कल्याण सिंह भारतीय जनता पार्टी को छोड़ देते हैं। जिसके बाद 2000 में राजनाथ सिंह यूपी के अगले मुख्यमंत्री बनते हैं।

एक बार फिर बनती हैं मायावती राज्‍य की सीएम

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UP Elections History mayawati

मार्च 2002 से मई 2002 के बीच उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू रहता है। जिसके बाद 2002 में चुनाव होते हैं। जिसमें 403 सीटों में से समाजवादी पार्टी को 143, बीएसपी को 98, कांग्रेस को 25 और भारतीय जनता पार्टी को 88 सीटें मिलती हैं। बीजेपी के समर्थन से मायावती राज्य की तीसरी बार मुख्यमंत्री बनती हैं। हालांकि सरकार बनने के बाद बीजेपी के कुछ नेता मायावती के खिलाफ प्रचार करने लगते हैं। इसी के चलते मायावती मुख्यमंत्री के पद इस्तीफा दे देती हैं।

UP Elections History: मुलायम बना लेते हैं सरकार

Mulayam Singh yadav
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29 अगस्त 2003 को बीएसपी के बागियों के समर्थन से मुलायम सिंह यादव तीसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि भारतीय जनता पार्टी ने भी मुलायम सिंह की सरकार चलाने में मदद की थी और यह सरकार 2007 तक चलती है।

UP Elections History: ब्राह्मणों के सपोर्ट से मायावती को चौथी बार कुर्सी

Mayawati
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2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होते हैं और सोशल इंजीनियरिंग के चलते ब्राह्मणों के सपोर्ट से 1991 के बाद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता है और बीएपी को मिली 206 सीटों के चलते मायावती राज्य की चौथी बार मुख्यमंत्री बनती हैं। बीएपी को मिले ब्राह्मणों के समर्थन की सबसे खास वजह सतीश मिश्रा को माना जाता है। 2007 के सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को मायावती और सतीश मिश्रा एक बार फिर 2022 के चुनाव में भी आजमा रहे हैं।

UP Elections History: 38 साल की उम्र में अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री

Akhilesh Yadav
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2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा 403 में से 224 सीटें मिलती है। विधानसभा चुनाव होने के बाद मुलायम सिंह यादव के बड़े बेटे Akhilesh Yadav राज्य के 20वें मुख्यमंत्री बनते हैं। बता दें कि अखिलेश यादव केवल 38 साल की कम उम्र में राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। मुख्‍यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते हैं। साथ ही विपक्षी उनके शासन में हर डिपार्टमेंट में एक ही जाति के लोगों को बैठाने का आरोप भी लगाते हैं। बता दें कि अखिलेश के शासन के दौरान ही राज्य का सबसे भयावह मुज़्ज़फरनगर दंगा हुआ था। चुनाव से पहले यादव परिवार में फुट भी पड़ जाती है।

UP Elections History: 2017 में बीजेपी को बहुमत

CM Yogi Adityanath
CM Yogi Adityanath

2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है और चुनाव में यह गठबंधन पूरी तरह से फैल हो जाता है। जिसके कारण सपा सत्ता से बाहर हो जाती है। भारतीय जनता पार्टी को 403 में से 312, समाजवादी पार्टी को 47, बीएसपी को 18 और कांग्रेस को 7 सीटें मिलती हैं। शानदार जीत के बाद बीजेपी गोरखनाथ मंदिर के महंत और सांसद योगी आदित्यनाथ को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाती है। ऐसा माना जाता है कि आरएसएस नहीं चाहती थी योगी आदित्यनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन कई विधायकों के समर्थन के चलते योगी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था।

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