देश भर में शारदीय नवरात्रि की धूम है। कोरोना को देखते हुए सावधानियां भी बरती गई हैं। आज शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। यह दिन देवी के कालरात्रि रुप को समर्पित हैं। सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि देवी के दर्शन की मान्यता है। काशी में मां का मंदिर चौक इलाके के कालिका गली में स्थित है। शुक्रवार सुबह से ही यहां भक्तों की भीड़ उमड़ी। लोगों ने पूजा पाठ कर कोरोना की महामारी से जल्द निजात मिलने की कामना की। सुबह मंगला स्नान में तमाम तरह के इत्र से मां को स्नान कराया गया, फिर भक्तों के दर्शन के लिए पट को खोल दिया गया। यह स्नान वर्ष में केवल दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्र में ही होता है।

माना जाता है कि माता के चरणों में गुड़हल के पुष्प की माला, लाल चुनरी, नारियल, फल, मिष्ठान, सिंदूर, रोली, इत्र और द्रव्य अर्पित करना विशेष फलदायी होता है। तड़के सुबह से ही भक्तों का हुजूम मां के दर्शन को उमड़ पड़ा है। हाथों में फूल-माला और नारियल लिए श्रद्धालु मां की एक झलक पाने के लिए कतार में लगे रहे। इस दौरान पूरा वातावरण जय माता दी और जय कालरात्रि माता के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा।

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कोरोना के चलते पूरे विश्व मे लोगो के मन में डर है। मां के दर्शन से किसी मनुष्य को अकाल मृत्यु की प्राप्ति नहीं होती। साथ ही महामारी के प्रकोप से भी देवी कालरात्रि बचाती हैं। बताया जाता है जिनका नाम ही काल से जुड़ा हो वो जरूर भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करेंगी। लोगों के उत्साह ने भय को खत्म कर दिया है।

कई जगह महासप्तमी की शुरूआत नाबापत्रिका पूजा से शुरू होती है। नाबापत्रिका को नवपत्रिका भी कहा जाता है। नाबापत्रिका पूजा में नौ पौधों की पत्तियों को मिलाकर बनाए गए गुच्‍छे की पूजा की जाती है। इन नौ पत्तियों को मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों का प्रतीक माना जाता है। नाबापत्रिका पूजा बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा और मणिपुर में धूमधाम से मनाई जाती है।

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नाबापत्रिका  यानी इन नौ पत्तियों को सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी के पानी से स्‍नान कराया जाता है, जिसे महास्‍नान कहते हैं। इसके बाद नाबापत्रिका को पूजा पंडाल में रखा जाता है। इस पूजा को ‘कोलाबोऊ पूजा’ भी कहते हैं। है। आज के दिन किसान भी नाबापत्रिका की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि नाबापत्रिका की पूजा से अच्छी फसल उगती है। नाबापत्रिका को भगवान गणेश की पत्नी भी माना जाता है। इसलिए पूजा के समय इसे भगवान गणेश की मूर्ति के दाहिनी ओर रखा जाता है।

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