Demonetisation के बाद Digital Payment में आई तेजी, Credit-Debit Card के इस्तेमाल में आने वाली इन बाधाओं को दूर करे सरकार

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Digital Payment

नोट बंदी के 5 वर्ष पूरे होने पर कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया (BC Bhartia) एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) के कहा की इन 5 वर्षों के में शुरुआती दिनों में देश भर के व्यापारियों को एक बड़े आर्थिक संकट से जूझना पड़ा और देश का सारा व्यापार अस्त व्यस्त हो गया, लेकिन व्यापारियों ने फिर भी सरकार का साथ दिया और डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) को अपनाया। देश के सभी राज्यों में व्यापारियों ने डिजिटल पेमेंट को अपनाया और वर्तमान में बड़ी संख्या में व्यापारी अपने व्यापार में डिजिटल पेमेंट का उपयोग कर रहे हैं। कोरोना की विपदा के दौरान डिजिटल पेमेंट का काफी इश्तेमाल किया जाने लगा।

क्रेडिट-डेबिट कार्ड पर लगभग 1- 2 प्रतिशत बैंक चार्ज के कारण कम इश्तेमाल करते हैं लोग

भरतिया ने कहा, क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड का देश में बड़ी संख्या में इश्तेमाल किया जा रहा है। इस पर लगने वाले लगभग 1 से 2 प्रतिशत के बैंक चार्ज के कारण अभी भी लोगों इसका अधिक इश्तेमाल नहीं कर रहे हैं। भरतिया एवं खंडेलवाल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया, यदि सरकार बैंक चार्जेज़ को सीधे सब्सिडी के रूप में बैंकों को दे दे और व्यापारी या उपभोक्ता पर बैंक चार्ज का भार न पड़े तो निश्चित रूप से देश में कम नक़द को इश्तेमाल होगा और अर्थव्यवस्था की तरफ़ तेज़ी से बढ़ सकता है।

प्रतिवर्ष मुद्रा छापने पर 35 हजार करोड़ रूपए खर्च करती है सरकार

उन्होंने कहा की सरकार प्रतिवर्ष मुद्रा छापने के लिए लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करती है और लगभग 5 हज़ार करोड़ रुपए मुद्रा की सुरक्षा और लॉजिस्टिक में खर्च होते हैं। डिजिटल पेमेंट के उपयोग में वृद्धि से इस खर्च में कमी आएगी, इस लिहाज़ से बैंकों को सब्सिडी देने पर सरकार पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं पड़ेगा और देश में काफ़ी हद तक नक़द के प्रवाह को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा की देश में बड़े पैमाने पर यूपीआई का उपयोग हो रहा है और इसका मुख्य कारण यह है की यूपीआई के ज़रिए भुगतान करने पर कोई चार्ज नहीं लगता। नोट बंदी की असली मकसद नक़द को कम करना है, लेकिन ये तभी सम्भव है जब बैंक चार्ज हटाएं जाएं।

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