Book Release of Prabhanshu Ojha: “काशी का रंगमंच और भारतेंदु” पुस्तक का हुआ विमोचन, सांसद से लेकर IPS अधिकारी तक रहे मौजूद

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Book Release of Prabhanshu Ojha
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Book Release of Prabhanshu Ojha: हिंदी साहित्य के पितामाह कहे जाने वाले और हिंदी में आधुनिकता के पहले रचनाकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। पर हिंदी भाषी लोग ही इन्हें धीरे-धीरे भूल रहे हैं। इतिहास के पन्ने में भारतेंदु धीरे धीरे गुम हो रहे थे। उनकी यादों, बातों और कहानियों को युवाओं के बीच जीवित रखने के लिए डॉ. प्रभांशु ओझा ने “काशी का रंगमंच और भारतेंदु” नाम की पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक का विमोचन 6 अप्रैल को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में शाम 5.30 बजे किया गया।

Book Release of Prabhanshu Ojha: कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

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पुस्तक विमोचन के दौरान राज्य सरकार में मंत्रियों से लेकर सांसद, डीजीपी, प्राचार्या और प्रोफेसर मौजूद रहे। इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट, केंद्रीय राज्य मंत्री भगवंत खूबा, प्रतापगढ़ से बीजेपी के सांसद संगम लाल गुप्ता,वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और झारखंड के पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे, हिंदी साहित्य भारती के अध्यक्ष रवींद्र शुक्ला, अंबेडकर कॉलेज के रजिस्ट्रार नितिन मलिक, हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रमा, सहित हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष राजन राव मौजूद रहे।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की पहली महिला प्रिंसिपल डॉ. रमा ने किया। बता दें कि डॉ. रमा साल 2015 में हंसराज कॉलेज की प्रिसिंपल बनीं थीं। कॉलेज के 67 साल के इतिहास में पहली बार कोई महिला प्रिंसिपल मिली हैं।

Book Release of Prabhanshu Ojha: पुस्तक लिखने की यात्रा

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यहां पर पुस्तक के लेखक प्रभांशु ओझा की बात करें तो वे हंसराज कॉलेज में Assistant Professor हैं। डॉक्टर भी हैं। इसके साथ एक शानदार वक्ता, लेखक, कवि और हसमुख व्यक्ति हैं। प्रभांशु को अखिल भारतीय वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में 500 से अधिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

पुस्तक लिखने की यात्रा पर प्रभांशु कहते हैं, इसे लिखना एक शानदार अनुभव रहा। किताब लिखने की चाह में मैं इस कदर खोया था कि बनारस के घाटों पर रात बिताया, गलियों में घूमा और बनारस को बहुत करीब से जानने की कोशिश की।

जाहिर है काशी का रंगमंच और भारतेंदु पुस्तक भारतेंदु हरिश्चंद्र पर लिखी गई है। भारतेंदु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। हिंदी में नाटकों का प्रारम्भ भारतेंदु हरिश्चन्द्र से माना जाता है।

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