चौथे दिन होती है माता कुष्मांडा की पूजा
आज यानी 29 सितंबर को नवरात्रि का चौथा दिन है.
इस दिन विधि-विधान के साथ माता कुष्मांडा का पूजन किया जाता है.
अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से जाना जाता है.
इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं.
आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है.
कहते हैं जब पृथ्वी नहीं थी, चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरी था, तब इसी देवी ने अपने मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी.
इसलिए इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है.
मां कुष्मांडा मंत्र
मंत्र- सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे॥
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े धारण करें.
इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें, फिर विधि-विधान से मां दुर्गा के स्वरूप माता कुष्मांडा की पूजा करें.
मां की अराधना सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी कुष्मांडा यशस्विनी॥ जप करके की जाती है.
माता कुष्मांडा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें.
इसके बाद दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाएं.
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