Health: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित होकर विभाजित होना शुरू हो जाती हैं। इस दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं। कैंसर कई प्रकार से फैलता है।ये कई अंगों पर अपना असर दिखा सकता है। आजकल पैंक्रियाटिक यानी अग्न्याशय कैंसर के मामले भी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं।अग्न्याशय पेट के नीचे स्थित एक अंग होता है।जिसका काम भोजन के पाचन के लिए इंसुलिन और ग्लूकोगॉन नामक एन्जाइम्स का निर्माण करना होता है।
ये एन्जाइम्स भोजन को सही प्रकार से पचाने में मदद करते हैं।यदि अग्न्याशय को किसी भी प्रकार की कोई बीमारी हो जाती है तो ऐसे में ना सिर्फ पाचन खराब होता है बल्कि व्यक्ति के पूरे स्वास्थ्य पर उसका बुरा असर पड़ता है।
डॉक्टर्स के अनुसार पैंक्रियाटिक कैंसर तेजी से बढ़ता है ऐसे में इसकी प्रारंभिक अवस्था का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। जब तक इसके लक्षण और संकेत दिखते हैं मरीज को बचा पाना संभव नहीं रहता।
Health: यहां जानिये पैंक्रियाटिक कैंसर के प्रमुख लक्षण
- 1 पीठ और पेट में असामान्य दर्द होना
- 2 पाचन में समस्या या लंबे समय तक दस्त या कब्ज की शिकायत
- 3 किसी भी चीज को निगलने में परेशानी होना
- 4 जी मिचलाने की समस्या या उलटी होना
- 5 हर समय थकान महसूस होना
- 6 बुखार के साथ साथ कंपकंपाहट होना
- 7 खून की उल्टी होना
- 8 भूख ना लगाना
- 9 लीवर में सूजन हो जाना
यदि उपरोक्त दिए गए लक्षणों में कुछ आपको दिखाई दें, तो सतर्क हो जाएं।हालांकि ये लक्षण दिखाई देने का हरगिज मतलब नहीं है कि आपको पैंक्रियाटिक कैंसर है, लेकिन आपको इन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। इन लक्षणों के दिखाई देने पर डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें। यदि जांच की आवश्यकता पड़े तो हर हाल में जांच अवश्य कराएं।
Health:पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण
पैंक्रियाटिक कैंसर होने की संभावना तब अधिक बढ़ जाती है जब अग्नाश्य की कोशिकाओं का डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है। फलस्वरूप कैंसर कोशिकाएं तेजी के साथ बढ़ती और विभाजित होती हैं और टयूमर बनता है। ये खून के जरिये तेजी से शरीर के अन्य भागों में फैलने लगतीं हैं। अभी तक इस बात का पता नहीं लग सका है कि आखिर डीएनए में कोशिकाएं क्षतिग्रस्त कैसे होती हैं?
Health:पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव के तरीके
अपने वजन को नियंत्रित रखें। संयमित खानपान और बेहतर जीवनशैली को अपनाएं। अपने लिए वक्त निकालकर योग एवं व्यायाम जरूर करें। अपने शरीर में शर्करा का स्तर बनाकर रखें। फल और सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करें।रेशायुक्त फल एवं सब्जी खाएं, ताकि कब्ज न रहे।समय-समय पर डॉक्टरी परामर्श एवं जांच जरूर करवाएं।मन को शांतचित्त रखने का प्रयास करें। अधिक देर तक न सोएं।धूम्रपान करने से बचें।
Health: पैंक्रियाटिक कैंसर जांच के तरीके
डॉक्टर सबसे पहले आपके रोग का पुराना विवरण एवं जांच करवाते हैं।जांच के दौरान पेट में गांठ का अनुभव करने पर अन्य जांच करवाने की सलाह दी जाती है। सीटी स्कैन के जरिये पेट के अंदर की छवियों के आधार पर इलाज शुरू किया जाता है। इसके अलावा एमआरआई जांच के माध्यम से पेट, पित्त की थैली और लिवर को देखा जाता है।
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